वित्त वर्ष 2017-18 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2018 निर्धारित है. ऐसे में आपके पास काफी कम समय बचा है. अगर आप इस वित्त वर्ष में अपनी ओर से बतौर आयकर भुगतान की जाने वाली राशि के बारे में सोच रहे हैं तो आपको यह भी मालूम होना चाहिए कि ऐसे काफी सारे तरीके हैं जिनकी मदद से आप इस कर योग्य राशि का एक बड़ा हिस्सा बचा भी सकते हैं. यानी अगर आप इन तरीकों का इस्तेमाल करेंगे तो आपकी टैक्स राशि काफी कम हो जाएगी.

उचित विकल्प में निवेश करना इसका एक आसान तरीका है. आयकर की धारा 80सी के अंतर्गत हर करदाता 1,50,000 रुपये की कर छूट प्राप्त कर सकता है. इसका मतलब यह हुआ कि एक वित्त वर्ष के दौरान आपकी कुल आमदनी में से 1,50,000 रुपये की कटौती करके ही आपकी कर योग्य राशि तय की जाएगी. वहीं अगर आप नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में निवेश करते हैं तो यह आपको 50,000 रुपये की अतिरिक्त कर कटौती की छूट देता है. हम अपनी इस खबर में आपको ऐसे पांच तरीके बता रहे हैं जिसकी मदद से आप अपनी इनकम टैक्स राशि को कम कर सकते हैं.

एनपीएस में निवेश करना सबसे बेहतर: नेशनल पेंशन सिस्टम में निवेश करना टैक्स बचाने का सबसे बेहतर तरीका है. यह सरकार की ओर से संचालित एक पेंशन योजना है. यह रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित आय प्राप्त करने का सबसे सफलतम और आसान तरीका है. अगर आप इसमें निवेश करते हैं तो आप 50,000 रुपये की अतिरिक्त कर छूट का दावा कर सकते है.

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ईएलएसएस के माध्यम से म्युचुअल फंड में करें निवेश: ईएलएसएस या इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम म्युचुअल फंड के ऐसे प्रकार हैं जो इनकम टैक्स बचाने में आपकी मदद कर सकती हैं. ईएलएसएस में निवेशकों को तीन साल के लौक इन पीरियड के लिए अपना पैसा निवेश करना होता है. ईएलएसएस पर मिलने वाला रिटर्न आमतौर पर अन्य स्कीम्स की तुलना में ज्यादा होता है और आंशिक रूप से कर योग्य होता है. ईएलएसएस के अंतर्गत मिलने वाले आयकर के फायदे आयकर की धारा 80 C के अंतर्गत मिलते हैं.

डोनेशन से भी बचा सकते हैं टैक्स: अगर आप डोनेशन या चैरिटी करते हैं तो भी आप आयकर की बचत कर सकते हैं. यह छूट भी आयकर की धारा 80C के अंतर्गत मिलती है. आप अगर कोई चैरिटी करते हैं तो आप अपनी कुल सकल आय में से 10 फीसद की कटौती कर सकते हैं. इसके बाद ही आपकी कर योग्य आय तय होगी.

टैक्स सेविंग स्कीम में निवेश: फिक्स्ड डिपौजिट जो कि पांच साल के लौक इन पीरियड के साथ उपलब्ध होता है, इनकम टैक्स बचाने में आपकी मदद कर सकता है. वहीं नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एसएससी) और पब्लिक प्रोविडंट फंड भी इनकम टैक्स बचाने में मददगार होते हैं. इन निवेश विकल्पों पर भी मिलने वाली कर छूट आयकर की धारा 80C के अंतर्गत मिलती है.

मकान के किराए से बचा सकते हैं टैक्स: अगर आप किराए के मकान में रहते हैं तो आप इस किराए को अपने आईटीआर में क्लेम कर टैक्स बचा सकते हैं. हाउस रेंट अलाउंट यानी एचआरए आपके सैलरी स्ट्रक्चर का ही हिस्सा होता है. यह इनकम टैक्स बचाने का एक महत्वपूर्ण सोर्स होता है. हालांकि इसके लिए आपको अपने मकान मालिक की ओर से दी जाने वाली रेंट रिसीप्ट अपनी कंपनी के एचआर को देनी होगी. हां अगर किराए की राशि साल में 1 लाख रुपये से ज्यादा होगी तो आपको अपने मकान मालिक का पैन कार्ड भी उपलब्ध करवाना होगा.

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