युवतियों का शिकायतनामा
जब युवकों को हम से दोस्ती करनी होती है, तो वे आगेपीछे घूमते हैं, पर बाद में सारी अटैंशन व प्यार छूमंतर हो जाता है.
पहलेपहल तो आसमान से तारे तोड़ कर लाने को तैयार रहते हैं, प्यार निछावर करते हैं, पर बाद में कद्र नहीं करते.
एक बार दोस्ती हो जाने पर वे हम पर अपनी बातें व पसंदनापसंद तक थोपना शुरू कर देते हैं, यह पहनो, यह मत पहनो, यह क्यों खाती हो, मोटी हो रही हो आदि.
केयर हम उन की करते हैं, वे हमारी नहीं करते.
कहीं घूमने जाने को कहो तो आनाकानी करते हैं.
हमारी नई ड्रैस, फुटवियर या पर्स की कभी प्रशंसा नहीं करते, झूठी भी नहीं.
जब खुद का मिलने का मन हो तो जिद पर उतर आते हैं और बस हुक्म देना जानते हैं.
वे कभी टेक केयर शब्द का इस्तेमाल नहीं करते हैं.
हम उन की खुद से भी ज्यादा केयर करते हैं, जो उन्हें भी मालूम होता है कि हम उन्हें कितना चाहते हैं, पर वे कभी इजहार नहीं करते.
जब भी मिलने आते हैं खाली हाथ आते हैं, न कोई फूल न चौकलेट.
युवकों की सफाई
ऐसा नहीं है कि हम उन की परवा नहीं करते. हम भी उन की उतनी ही चिंता करते हैं, पर शो नहीं करते.
जब तक रोज 10-20 बार आई लव यू न कहो उन्हें लगता ही नहीं कि हम उन्हें प्यार करते हैं.
एक तरफ तो शिकायत रहती है कि हम उन पर ध्यान नहीं देते, पर जब उन्हें कम खाने अथवा ड्रैसेज के बारे में कोई सुझाव देते हैं, तो कहती हैं कि हुक्म चलाते हो.
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