वित्त वर्ष के खत्म होते ही करदाताओं को इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करना होता है. वित्त वर्ष 2017-18 के लिए आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2018 है. आमतौर पर काफी सारे करदाता आखिरी समय में अपना आईटीआर फाइल करने की भूल करते हैं. ऐसे में गलतियों की गुंजाइश बढ़ जाती है जो कि टैक्सपेयर्स पर भारी पड़ सकती है. हम अपनी इस खबर में आपको 8 ऐसी गलतियों के बारे में जानकारी दे रहे हैं जिन्हें करने से आपको बचना चाहिए.

सभी तरह की कमाई का जिक्र करें: आमतौर पर आधे से ज्यादा करदाता टैक्स सेविंग एफडी और अन्य एफडी से हुई कमाई का खुलासा करना भूल जाते हैं. कुछ करदाताओं को लगता है कि ये टैक्स फ्री है, यह एक मिथ है. उन्हें नहीं पता होता है कि हालांकि ये आयकर की धारा 80सी के तहत टैक्स बचाने में मददगार होते हैं. हालांकि इनसे होने वाली ब्याज योग्य आय पर टैक्स देना होता है. इसलिए बतौर करदाता अपनी इस तरह की आय का खुलासा आईटीआर में जरूर करें.

विदेशी परिसंपत्तियों और आय का खुलासा जरूर करें: कर चोरी रोकने के लिहाज से, करदाता के लिए यह जरूरी है कि वह अपने विदेशी खातों की जानकारी भी आयकर विभाग को दे, साथ ही यह भी बताए कि उस वित्त वर्ष के दौरान उसने उस पर कितना ब्याज हासिल किया है. आपकी विदेशी संपत्तियों के संबंध में कोई भी गलत जानकारी आपको मुश्किल में ला सकती है.

पूर्व नियोक्ता की ओर से हुई कमाई को बताना न भूलें: नौकरी छोड़ने के बाद आमतौर पर कर्मचारी अपने पूर्व नियोक्ता से हुई कमाई के बारे में अपने मौजूदा नियोक्ता को जानकारी नहीं देते हैं. आमतौर पर नए नियोक्ता भी पिछली नौकरी से अर्जित आय के बारे में ध्यान नहीं देते हैं. टैक्स की कटौती तब इस अवधारणा पर की जाती है कि बाकी बचे महीनों के लिए होने वाली कमाई सिर्फ इस साल की ही आय है. लेकिन यह उस वक्त मुश्किल खड़ी कर देता है जब टैक्सपेयर्स साल के आखिर में रिटर्न फाइल करते हैं. उस वक्त दोनों नियोक्ताओं की ओर से हुई कमाई को जोड़ा जाता है और कटौती एवं कर छूट आधी रह जाती है और कर देयता की स्थिति बन जाती है.

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