काफी संघर्षों से पाला था, आशा ने रिया को . पर आज आशा के इस तरह के फैसले ने तोड़ कर रख दिया था उसे. रह रह कर उसे लग रहा था कि बाकी रिश्तों की तरह इस रिश्तें में भी वो छली गयी है. छोटी से छोटी बात पूछ कर करने वाली उसकी रिया आज इतना बड़ा फैसला बिना उससे पूछे व बतायें कैसे कर सकती है .
मन में डर भी था कि जब रिया आयेगी तो उसके पिता रिया को बाद में पहले उसे जलील करेंगे. उसने तो किसी तरह से रिया के लिव इन रिलेशनसिप संबंध को उसकी खुशी के लिए स्वीकार कर लिया था पर पति के व्यवहार से भी खूब परिचीत थी वो .
कुछ सोच फोन लगाने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि रिया का फोन आ गया . सर तो वैसे ही भाड़ी था उसका तबीयत भी चिन्ता व डर से खराब हो गयी थी .
फोन के दूसरी तरफ से रिया की आवाज आयी……
“माँ ” आप ठीक हो न . रिया बोल रही थी पर आशा कोई भी जबाब न दे पा रही थी . खराब तबीयत और रूंधे गले की वजह से . आशा की स्थिति भांप फिर रिया बोली . “माँ ” मैं कल आ रही हूं आपको हर सवाल से मुक्त करने व पापा के सवालों का जबाब देने . कह रिया ने फोन काट दिया पर आशा की स्थिती अब भी वही थी “चिन्तामग्न” .
सुबह 7 बजते ही दरवाजे की घंटी बजी………
टन्न टन्न टन्न……..
दरवाजा रिया के पिता ने खोला पर रिया को देखते ही दोबारा बन्द करने के लिए दरवाजे पर दबाब बनाया ही था कि रिया दरवाजे को ढ़केलती अंदर आ गयी . आग बबुला हुए पिता को अनदेखा कर रिया चिल्लाई” माँ ” माँ….
आशा रिया की आवाज सुनते दौड़ती आयी पर पति को समक्ष देख बुत बन गयी . तो रिया ने बोला चलो माँ मेरे साथ अब से हम तुम और शशि एक साथ रहेंगे कोई जरुरत नहीं किसी की गुलामी करने की . इतना कहना था कि पिता भड़क उठे व चीखते हुए बोले कलंकनी मन को शांति नहीं मिली इतना घिनौना काम करने के बाद इतनी ढीठता मेरे घर में दिखाने की . निकल मेरे घर से मर चुकी है मेरे लिए तू .
पिता की बातें सुन रिया ने भी मर्यादा लांघते कहा मर तो आपके अंदर का इंसान गया है पापा वो भी कब का . आज मेरे शशि के साथ लिव इन रिलेशनसिप को आप घिनौना कह रहे है पर आपने माँ के साथ पवित्र रिश्तें को कौन सा पावन रखा है . माँ को हमेशा ही शरीरमात्र व नौकर के सिवा आपने समझा ही क्या है . गाली गलौज मार पीट सब जायज है क्योंकि आप पति है और इस रिश्तें को ये हक समाज ने दिया है . एक दिन भी ऐसा न गया जब माँ न रोयी हो .
शशि के साथ दो साल से रह कर मैने जाना कि जीवन क्या होता है . न उसने कभी मेरे मन तो कभी शरीर को रौंदा है पापा . शादी से नफरत करने लगी थी आपकी वजह से पर आज लिव इन रिलेशनसिप में दो साल से शशि के साथ रह मैंने शादी का फैसला किया है .
अगले महिने ही शादी है आप सादर आमंत्रित हैं वरना आपके आशीर्वाद के बिना भी ये शादी हो सकती है क्योंकि माँ को साथ ले जा रही हूं . कहती रिया माँ को ले आगे बढ़ने ही वाली थी कि पिता की आवाज ने रुकने पर विवस कर दिया . रुको शादी के पहले शशि के परिवार से मिलना चाहता हूं .
बोल पिता ने बांहे अपनी भूल स्वीकारते रिश्तों को खोने के डर से फैला दी जिसमें रिया माँ संग सिमटने के लिए बेकरार थी .