नोएडा, गाजियाबाद, चैन्नई, दिल्ली के द्वारका में एक-एक के बाद बिल्डिंगें गिरने की घटनाएं हो रही हैं. इससे आपको सचेत होना चाहिए, खासकर तब, जब आप या आपका कोई जानकार घर खरीदने पर विचार कर रहा है. आपको सतर्कता बरतते हुए कुछ ऐसे कदम उठाने चाहिए, जिससे आप ऐसी किसी दुर्घटना से बच सकें. ज्यादा के लालच में बिल्डर्स बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन की क्वालिटी से खिलवाड़ करते हैं, जिसका खामियाजा बायर को भुगतना पड़ सकता है. हम आपको यह बताने की कोशिश करेंगे कि ऐसी कौन सी सावधनियां बरत कर आप इस तरह की दुर्घटनाओं से बच सकते हैं.
बिल्डर से मांगें बिल्डिंग प्लान
जब हम घर बुक कराने जाते हैं तो आपको बिल्डर से उस बिल्डिंग प्लान की कौपी लेनी चाहिए, जो स्थानीय अथौरिटी से अप्रूव हो. बिल्डिंग प्लान को ध्यान से देखना चाहिए. इस बिल्डिंग प्लान में बिल्डिंग के सेफ्टी फीचर्स दिए जाते हैं. यदि यह बिल्डिंग प्लान काफी टैक्निकल होने के कारण आपको समझ नहीं आ रहा है तो किसी प्राइवेट आर्किटेक्ट से संपर्क करें और उससे प्लान की जांच कराएं. साथ ही, लोकल एरिया लेआउट की भी जांच कराएं .
बिल्डर से लें स्ट्रक्चर इंजीनियर की रिपोर्ट
भुज में आए भीषण भूकंप के बाद देश के बिल्डिंग कोड में कई तरह के ठोस बदलाव किए गए. इनमें से एक है कि बिल्डर को बिल्डिंग प्लान अथौरिटी से पास कराते वक्त किसी स्ट्रक्चर इंजीनियर से भी सर्टिफाई कराना होता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार नक्शा पास कराते वक्त बिल्डर्स को कई ऐसे प्रावधानों का उल्लेख करना पड़ता है, जिससे बिल्डिंग सेफ रहे. बायर को यह रिपोर्ट तो लेनी ही चाहिए, बल्कि पजेशन लेते वक्त भी बिल्डर से पूरी बिल्डिंग का स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट भी लेना चाहिए. अभी बायर्स इस बारे में जागरूक नहीं हैं, इसलिए वे बिल्डर से यह सर्टिफिकेट नहीं लेते और ना ही अथौरिटी द्वारा औक्यूपेंसी सर्टिफिकेट देते वक्त यह सर्टिफिकेट लिया जाता है. इसलिए बायर्स को इस बारे में जागरूक करना बेहद जरूरी है.
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