सुबह सुबह कहां चलने लगता है दिमाग. मां पापा इतने भी निर्दयी ना होंगे. आखिर उनकी दुलारी बिटिया जो हूं मैं. पर कैसे बताऊंगी मैं उन्हें की उनकी दुलारी बिटिया लिव इन में रह रही है.

अनाया सुबह उठी ही थी कि उसका दिमाग सोचों के बवंडर में डूब गया था. उसकी तंद्रा तब टूटी जब उधर से सुयश चाय बना कर उसे जगाने के लिए पहुंचा था.

सुयश उसे देख कर ही समझ गया की फिर यही सब सोच रही. जबसे इसे घर जाना है तब से यह कुछ ज्यादा ही परेशान हो गई है.

वो भी उसकी मजबूरी समझता था क्योंकि जब उसके घर वालों को पता चला था तो कैसा तूफान आया था उसे याद है. बहुत ज्यादा पढ़े लिखे होने के बावजूद भी उन्हें मनाने के लिए काफी जद्दोहद करनी पड़ी थी उसे. और अनाया का घर तो गांव में है घर वालों का पता नहीं क्या रिएक्शन होगा?

आज उसका घर जाने का भी दिन भी आ गया था. अनाया को सुयश पर खुद से ज्यादा भरोसा था, पर ये भरोसा अपने घर वालों को कैसे दिलायेगी. यही सोचते हुए वह घर पहुंची.वहां सभी उसी के इंतजार में थे.

शाम को खाने के वक्त अनाया ने कहा मां पापा आपसे कुछ बात करनी थी पर प्लीज मुझे समझने की कोशिश करियेगा. मैं बहुत दिन से आपको बताना चाह रही थी पर हिम्मत नहीं हो रही थी. बहुत मुश्किल से आपसे कह पा रही हूं.

पहेलियां ना बुझाओ अनाया साफ साफ बताओ क्या हुआ? मां ने थोड़ा प्यार से पूछा.

वो.. मां मैं.. वो..

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
 
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
  • 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...