डिटौक्सीफिकेशन का मतलब है शरीर को हानिकारक पदार्थों से छुटकारा दिलाना. हम रोज कई हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आते हैं, जो हमारी सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं. डिटौक्सीफिकेशन के द्वारा शरीर से इन पदार्थों को बाहर निकाल शरीर को तनावमुक्त बनाया जा सकता है.

ये पदार्थ शरीर में जमा हो जाते हैं:

– वायु प्रदूषण जैसे उद्योगों और गाडि़यों से निकलने वाला धुआं.

– फूड प्रिजर्वेटिव, एडिटिव और स्वीटनर.

– हेयर डाई, परफ्यूम, साफसफाई में काम आने वाले उत्पाद जिन में आमतौर पर प्रिजर्वेटिव या रसायन होते हैं, जो शरीर के लिए हानिकारक होते हैं.

– घर की सफाई में काम आने वाले क्लीनिंग एजेंट्स.

– भारी धातु यानी हैवी मैटल्स जो अकसर पीने के पानी में मौजूद होते हैं.

– शराब, सिगरेट का धुआं और नशीली दवाएं.

डिटौक्सीफिकेशन का महत्त्व

हमारा शरीर हमेशा अपनेआप जहरीले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता रहता है. लेकिन खानेपीने की गलत आदतें, शराब, कैफीन, नशीली दवाओं का सेवन, तनाव, पौल्यूशन आदि आज के आधुनिक जीवन का हिस्सा बन चुके हैं.

हम चाहे कितना भी सेहतमंद भोजन करें और लाइफस्टाइल पर ध्यान दें, बाहरी कारकों का असर हमारे शरीर पर पड़ता ही है और जानेअनजाने जहरीले पदार्थ हमारे शरीर में इकट्ठे होते जाते हैं. इस से शरीर के अंगों की ताकत धीरेधीरे कम होने लगती है. जब शरीर के अंगों पर इस का दबाव बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, तो वह ठीक से काम नहीं कर पाता और बीमारियों की चपेट में आने लगता है.

कैसे करें डिटौक्स

शरीर को डिटौक्स करने के कई तरीके हैं. इन में न तो ज्यादा समय खर्च होता है और न ही ज्यादा पैसे.

आहार: ऐसे आहार का सेवन न करें जिस से पाचनतंत्र पर दबाव बढ़ता हो. फलों में प्राकृतिक चीनी यानी फ्रुक्टोस होती है. फाइबर से युक्त आहार का सेवन करें. ब्राउन राइस, ताजे फल और सब्जियां खाएं. चुकंदर, मूली, आर्टीचोक, पत्तागोभी, ब्रौकली अच्छे खा-पदार्थ हैं, जो शरीर से जहरीले पदार्थ निकालने में मदद करते हैं. विटामिन सी का सेवन भरपूर मात्रा में करें. इस से शरीर में ग्लुटेथिऔन बनता है, जो शरीर से जहरीले पदार्थ बाहर निकालने में फायदेमंद होता है.

पानी मिनरल्स से युक्त पीएं: पानी शरीर को जरूरी मिनरल्स देता है. अपने पानी की जांच करें. उस में कहीं भारी धातु यानी हेवी मैटल्स तो नहीं? नल से आने वाला पानी अकसर पुरानी पाइपों में से आता है, जिस में भारी धातु होती है.

इस के अलावा घर पर भी कुछ डिटौक्स ड्रिंक्स बना सकती हैं जैसे लैमन व मिंट, ग्रीन टी इत्यादि.

व्यायाम: रोज कसरत करने से शरीर से जहरीले पदार्थ निकल जाते हैं. कसरत के दौरान पसीना आता है, लिपोलाइसिस यानी फैट टिशू बर्न होने की प्रक्रिया तेज हो जाती है और फैट टिशू में मौजूद विषैले पदार्थ बाहर निकलने लगते हैं. इस से रक्त का प्रवाह बढ़ता है, लिवर और किडनियों तक ज्यादा औक्सीजन पहुंचती है और जहरीले पदार्थ फिल्टर हो कर बाहर निकलने लगते हैं.

पसीना: पसीना बहाने से शरीर में से भारी धातु और जेनोबायोटिक्स यानी प्लास्टिक और पेट्रोकैमिकल्स जैसे रसायन भी निकलने लगते हैं.

त्वचा: हानिकर रसायनों का इस्तेमाल न करें. हेयर डाई, हेयर स्प्रे, मेकअप और त्वचा पर इस्तेमाल किए जाने वाले उत्पादों में बहुत से रसायन होते हैं. आप के स्किन प्रोडक्ट ऐसे हों, जिन में परफ्यूम और रसायन कम से कम मात्रा में हों. क्योंकि रसायन त्वचा पर मौजूद छिद्रों को बंद कर देते हैं.

अगर आप डिटौक्सीफिकेशन के बारे में सोच रहे हैं, तो पहले डाक्टर से जरूर बात कर जान लें कि आप के लिए क्या ठीक होगा, क्योंकि कई मामलों जैसे डायबिटीज आदि में यह हानिकारक हो सकता है. अगर आप को कोई बीमारी है या आप कोई दवा ले रहे हैं, तो इस बारे में भी डाक्टर को जरूर बता दें.

-डा. करुणा चतुर्वेदी

(चीफ डाइटीशियन, जेपी हौस्टिपल, नोएडा)   

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