आज जिस तेजी से युवाओं की सोच बदल रही है, उन में जो खुलापन आया है वह मानसिक विकास के लिए तो जरूरी है, लेकिन खुलापन शारीरिक स्तर तक बढ़ जाए, यह गलत है. गलत इसलिए है क्योंकि हर कार्य को करने का समय होता है. किसी काम को समय से पहले ही अंजाम दिया जाए, तो उस का परिणाम भी गलत ही होता है. आज युवाओं में सैक्स के प्रति बढ़ती रुचि का ही नतीजा है कि युवतियां प्रैग्नैंट हो जाती हैं और अपनी जान तक गंवा देती हैं.

किशोरों के शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ विकास के लिए सब से जरूरी है, उन्हें सैक्स से संबंधित हर तरह की जानकारी से अवगत कराया जाए. खासकर पेरैंट्स को अपने जवान होते बच्चों को सैक्स से संबंधित जानकारी देने में जरा भी संकोच नहीं करना चाहिए, लेकिन अपने देश में बहुत कम ऐसे पेरैंट्स होते होंगे, जो अपने बच्चों को इस बारे में जागरूक और सचेत करने की पहल करते हों. यही कारण है कि हमारे देश में अधिकतर बच्चे सैक्स ऐजुकेशन से संबंधित जानकारी दोस्तों, किताबों, पत्रिकाओं, पौर्नोग्राफिक वैबसाइट्स और अन्य कई साधनों के जरिए चोरीछिपे हासिल करते हैं. उन्हें यह नहीं मालूम कि सैक्स से संबंधित ऐसी अधकचरी जानकारी मिलने से नुकसान भी होता है.

दरअसल, किशोर या युवा इन स्रोतों के जरिए सैक्स के प्रति अपने मन में गलत धारणाएं विकसित कर लेते हैं. उन्हें लगता है कि सैक्स मात्र ऐंजौय करने की चीज है, जिस से उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा.

एशिया के तमाम देशों जैसे भारत में सैक्स ऐजुकेशन को पाठ्यक्रम में शामिल करने के सफल प्रयास किए गए हैं, लेकिन यह आज भी एक बहस का मुद्दा बना हुआ है. यदि ऐसा संभव हुआ तो सैक्स ऐजुकेशन के जरिए बच्चों को इस की पूरी जानकारी दी जा सकेगी, जिस से किशोरों का विकास सही रूप में हो सकेगा.

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