जवान होते लड़केलड़कियों को जैसे 16वें साल का इंतजार होता है वैसे ही प्रेमा को अपने 60वें साल का इंतजार था. 16वें साल के सपने अगर रंगीन होते हैं तो प्रेमा के भी 60 साल के सपने कुछ कम रोमांचक नहीं थे. उसे इस दिन का बड़ी बेसब्री से इंतजार था जब वह 60 साल की हो जाएगी. इंतजार का हर एक दिन उस पर भारी पड़ रहा था. और इतने अधिक महत्त्वपूर्ण दिन का इंतजार क्यों न हो, 60वां साल होते ही उसे एक महत्त्वपूर्ण उपाधि जो मिलने वाली थी. वह उपाधि भी कोई ऐसीवैसी नहीं थी. वह उपाधि तो उसे भारत सरकार देने वाली थी. सुंदरसलोना 60वां साल होते ही उसे ‘वरिष्ठ नागरिक’ होने की उपाधि मिलनी थी. तब वह बड़ी शान से रेलवे वालों को बोल सकती थी कि वह तो ‘सीनियर सिटीजन’ है और उसे रेलवे टिकट पर 30 प्रतिशत की कटौती मिलनी ही चाहिए.

प्रेमा की तकदीर कुछ अधिक ही जोर मार रही थी. इधर वह 60 की हुई और उधर रेलमंत्री ने ऐलान कर दिया कि रेल में सफर करने वाली ‘वरिष्ठ महिलाओं’ को टिकट पर 50 प्रतिशत कटौती मिलेगी. अखबार में यह समाचार पढ़ते ही उस का दिल तो बल्लियों उछलने लगा था. प्रेमा ने तुरंत इस का फायदा उठाने की योजना बना डाली. अब उसे कहीं न कहीं घूमने तो जाना ही था. उस की तकदीर कुछ अधिक ही साथ देने लगी थी क्योंकि तभी उसे एक विवाह का निमंत्रणपत्र मिल गया. उस के भतीजे की शादी बेंगलुरु में होने वाली थी. शादी मेें 15 दिन बाकी थे यानी तैयारी के लिए भी अधिक समय मिल गया था. सब से पहले तो उस का बेंगलुरु जाने का टिकट आया. आज तक उस ने कभी खुश हो कर अपनी जन्मतिथि किसी को भी नहीं बताई थी पर आज उस ने बड़े गर्व से अपनी जन्मतिथि रेलवे फार्म में भरी थी ताकि उसे ‘वरिष्ठ नागरिक’ होने की कटौती मिल सके.

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