चश्मा पहनते-पहनते आप उब गई हैं, तो बौलीवुड स्टार शाहरूख खान, जूही चावला, इंटरनैशनल गोल्फ प्लेयर टाइगर वुड्स की तरह मौडर्न टेक्नौलजी पर भरोसा कर सकती हैं. सेंटर फार साइट के चीफ डाक्टर महिपाल सचदेव का कहना है लेजिक (Lasik) और स्माइल (Smile) ऐसी तकनीक है जो चश्मे उतारने में काफी कारगर साबित हो रही है. यह तकनीक इस्तेमाल तभी होती है जब मरीज के आंखों का नंबर स्टेबल यानी स्थिर हो जाता है और उसकी उम्र कम से कम 20 साल हो. डाक्टर कुछ टेस्ट के बाद इस तकनीक का इस्तेमाल करने की अनुमति देते हैं.
लेजिक की तुलना में बेहतर तकनीक है स्माइल
डाक्टर सचदेव ने कहा कि लेजिक 25 साल पुरानी तकनीक है, जो पूरे विश्व में इस्तेमाल हो रही है. 98 पर्सेंट मरीज इससे खुश होते हैं. यह दो प्रकार का होता है. एक ब्लेड वाला जिस पर 45 हजार का खर्च होता है और दूसरा ब्लेड फ्री वाला जिस पर 70 से 80 हजार का खर्च होता है. आजकल स्माइल तकनीक ऐसी है जो सबसे लेटेस्ट है और यह लेजिक की तुलना में काफी बेहतर साबित हो रही है. इसमें फ्लैप बनाने की जरूरत नहीं होती है और यह ब्लेड फ्री है. इसके बाद मरीज बौक्सिंग से लेकर हर प्रकार की ऐक्टिविटी कर सकता है, इसमें कोई दिक्कत नहीं होती है. यही वजह है कि अब लोग इसे ज्यादा अपना रहे हैं.
माइनस 10 तक का चश्मा उतारने में सक्षम
खास बात यह है कि लेजिक में जहां चीरा 22 एमएम का होता है वह इसमें केवल 2 एमएम का ही होता है, जिससे रिकवरी भी बेहतर होती है. यह माइनस 10 तक का चश्मा उतारने में सक्षम है और विजन की रिकवरी भी जल्दी होती है. इसमें सिंगल लेजर के जरिए ट्रीटमेंट किया जाता है. औपरेशन के बाद लेजिक में चीरा बड़ा होने की वजह से आंख में ड्राइनेस होती है. वहीं इसमें यह ड्राइनेस भी कम हो जाती है. लेजिक की तुलना में इसका आउटकम और बेहतर हो गया है. हालांकि यह लेजिक की तुलना में थोड़ा महंगा है. इस पर लगभग 1.30 लाख तक का खर्च आता है.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- 24 प्रिंट मैगजीन
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स