मशहूर अभिनेता गोविंदा की भांजी, लेखक, अभिनेत्री, संगीतज्ञ व ज्योतिषाचार्य कामिनी खन्ना की बेटी रागिनी खन्ना को लोग एक बेहतरीन अदाकारा के रूप में ही पहचानते हैं. रागिनी खन्ना ने  2008 में टीवी सीरियल ‘राधा की बेटियां’ से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा था. उसके बाद ‘भास्कर  भारती’, ‘ससुराल गेंदा फूल’, ‘मैं लक्ष्मी तेरे आंगन की’सहित कई टीवी सीरियलों व ‘तीन थे भाई’, ‘भजी इन प्राब्लम’, ‘गुड़गांव’ सहित कई फिल्मों में अभिनय कर बतौर अभिनेत्री अपनी एक पहचान बना रखी है.

पर अब प्रोफेशनली बतौर गायिका उनका पहला अलबम ‘अनप्लग कवर वर्जन’ आया. उनका यह अलबम इन दिनों यूट्यूब पर मौजूद ‘‘कामिनी खन्ना म्यूजिक’’ चैनल पर काफी पसंद किया जा रहा है.

अभिनेत्री के तौर पर करियर अच्छा चल रहा था, पर उससे दूरी बनाकर संगीत के क्षेत्र मे करियर शुरू करने की कोई वजह?

पहली बात तो मैंने अभिनय को अलविदा नहीं कहा है. दूसरी बात संगीत से मेरा जुड़ाव बचपन से रहा है. मैं पांच साल की उम्र से शास्त्रीय संगीत सीखती आयी हूं. मेरी नानी और मेरी मां दोनों चाहती थी कि मैं एक बेहतरीन गायक बनूं. मेरी भी तमन्ना संगीत के क्षेत्र में ही आगे बढ़ने की थी. लेकिन ईश्वर ने या यूं कहें कि तकदीर ने मेरी जिंदगी की योजना कुछ और ही रच रखी थी. जिसके चलते मैं अभिनेत्री बन गयी. अभिनय के क्षेत्र में मैंने काफी अच्छे सीरियलों में बेहतरीन अभिनय किया. काफी शोहरत मिली. पर अब जब सही वक्त आया और मेरी मां कामिनी खन्ना ने फिर से उकसाया, तो मैंने पुनः संगीत के क्षेत्र में कदम रख दिया. मेरे द्वारा स्वरबद्ध पहला अलबम ‘‘अनप्लग्ड’’ यूट्यूब पर धूम मचा रहा है.

आपने संगीत किससे सीखा?

मेरी संगीत की पहली शिक्षा मेरी नानी स्वर्गीय श्रीमती निर्मला देवी से शुरू हुई थी. उन्होंने मुझे सिर्फ दो लाइनें सिखायी थीं कि दुर्भाग्य से उनका निधन हो गया. उसके बाद मैंने पंडित जगन्नाथ मिश्रा के सुपुत्र प्रकाश मिश्रा जी से संगीत की विधिवत शिक्षा हासिल की. पूरे 15 वर्ष तक उन्होंने मुझे संगीत सिखाया. उनके निधन से मुझे बहुत तकलीफ हुई. और पूरे चार साल तक मैं रोती रही. मेरा संगीत का रियाज छूट गया. इसी गम के समय मुझे अभिनेत्री के रूप में एक नयी पहचान मिल गयी. पर मैं पिछले एक साथ से पुनः संगीत का रियाज करती आयी हूं. जिसकी वजह से मैं अपना पहला अलबम ‘अनप्लग्ड’ लेकर आयी हूं.

जब आप अभिनय में व्यस्त थीं, तो संगीत के रियाज के लिए समय मिलता था?

सच कहूं तो संगीत के लिए बिलकुल समय नहीं मिलता था. आप भी जानते हैं कि टीवी पर अभिनय करना काफी कठिन होता है. उस वक्त तो मेरी चिंता यह होती थी कि मुझे 6 घंटे की नींद तो मिल जाए. कई कई दिन तो वह भी नसीब नहीं होता था. जिसकी वजह से तबियत भी खराब हो जाती थी. ऐसे में संगीत के रियाज के लिए वक्त था ही नहीं. पर उन दिनों कई बार हम सेट पर अपने शौट का इंतजार करते हुए कुछ गा लेती थी. या कभी मेकअप करवाते हुए कुछ गा लेती थी. मैं एक कलाकार हूं. शुरू से ही मेरे दिमाग में एक बात थी कि मैंने जो कुछ सीखा है, वह आम लोगों तक पहुंचे. इसलिए जैसे ही मेरी मां कामिनी खन्ना ने मुझे उकसाया, मैंने संगीत पर फिर से ध्यान देना शुरू किया. जिसकी परिणति  है-‘अनप्लग’ अलबम.

वैसे मैं आपको याद दिला दूं कि छोटी सी उम्र से ही मैंने गाना गाना शुरू किया था. सबसे पहले मैंने एक अलबम के लिए कोरस में गाया था. उसके बाद मैंने कई सीरियलों के टाइटल सांग गाए. कई एड फिल्मों के लिए जिंगल्स गाए. पर जब अभिनय करना शुरू किया, तो गायकी व संगीत छूट गया था.

‘‘अनप्लग्ड’’ क्या है?

बतौर प्रोफेशनल गायक ‘अनप्लग’ मेरा पहला अलबम है, जो कि ‘यूट्यूब’ के ‘कामिनी खन्ना म्यूजिक’ चैनल पर रिलीज हुआ है. और काफी पसंद किया जा रहा है. वास्तव में मेरे मामा गोविंदा जी का 1998 में एक प्यार के गीतों का अलबम आया था, उसी का यह ‘अनप्लग्ड कवर वर्जन’ है. यह मेरी पहली शुरुआत है. अब मैं अलग अलग तरह के गीतों को अपनी आवाज से सजा कर लोगों तक पहुंचाती रहूंगी. इस गीत की लाइनें हैं -‘‘कभी कभी किसी से प्यार हो जाता है..प्यार क्यों ना कहते हो मुझसे प्यार करते रहो..मुझसे प्यार करते रहो, तुम क्यों डरते हो, डरते हो.. बोलो..’’

मेरा यह गाना उन सभी गायकों को मेरी तरफ से ट्रिब्यूट है, जिन्हें मैं 90 के दशक से सुनते व देखते हुए बड़ी हुई हूं. तमाम ऐसे गायक रहे हैं, जिन्हें देखकर मेरे दिमाग में पौप स्टार गायिका बनने का सपना आया था.

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तो क्या आप पहले सिर्फ पौप स्टार बनना चाहती थी?

मैं पौप स्टार ही बनना चाहती थी. मगर 5 साल के बच्चे को जो आप सिखाएंगे, वही सीखेगा. तो मेरी मां व नानी ने 5 साल की उम्र से मुझे क्लासिकल संगीत सिखाना शुरू किया था, तो मैं वह सीखती रही. लेकिन अब जब मुझे समझ आ गया है, तो मेरा यह मानना है कि आप पौप स्टार बने या किसी भी तरह की गायिकी में जाएं, आपको अपनी जडे़ं पता होनी चाहिए. किसी भी तरह की क्लासिकल गायकी आपको एक मजबूत जमीन दे देती है. जब आपकी जड़े मजबूत होंगी, तो आप गिर नहीं सकते हैं. क्लासिकल संगीत ने मेरी जड़ें इतनी मजबूत कर दी हैं कि मैं बेसुरा गा ही नहीं सकती. इसकी वजह से मेरा आत्मविश्वास भी बढ़ा है.

आपने तमाम सीरियलों में कई किरदार निभाए होंगे. आपका पसंदीदा किरदार कौन सा है. किस किरदार ने आपकी जिंदगी बदल दी?

मुझ पर मेरे द्वारा निभाए गए हर किरदार का असर हुआ है. जब मैं सीरियल ‘राधा की बेटियां’ कर रही थी, तो मैं रागिनी शर्मा उर्फ गिनी के किरदार से रिलेट कर रही थी. जब मैं ‘भास्कर भारती’ कर रही थी, तो मैं निजी जिंदगी में भी लड़कों की तरह चलना शुरू कर दिया था. जब मैंने ‘ससुराल गेंदा फूल’ में सुहाना का किरदार निभाया, तो निजी जिंदगी में भी मैं बहुत गुस्से में रहती थी. जब मैंने फिल्म ‘गुड़गांव’ की, तो उसका असर हुआ. तो हम जिस किरदार को भी निभाते हैं, उसका असर निजी जिंदगी पर होता है.

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सोशल मीडिया पर आप कितना सक्रिय हैं. और क्या लिखती हैं?

मैं सोशल मीडिया पर वही पोस्ट करना पसंद करती हूं, जो बात लोगों तक पहुंचानी हो. जिस बात के कहने के कोई मायने ना हो, उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से क्या फायदा. कोई एथलीट जैसे कि हीमा दास जीती, तो उसे मैंने बधाई दी. क्योंकि मुझे लगा कि यह हमारे देश के लिए गौरव का पल है.

आपको तो लिखने का भी षौक रहा है?

जी हां!! मैं अपनी निजी जिंदगी के अनुभवों को लिखती रहती हूं. पर वह कविताएं हैं या नहीं, यह नहीं कह सकती. मैं अपनी लिखी चीजें किसी को पढ़ाती भी नही हूं. पर मेरे दिल में जो आता है, मैं वह लिखती हूं. मैं अपनी लाइफ के परसेपशन को लिखती रहती हूं. मैं कुछ चीजें कहानी के रूप में भी लिखती हूं. सच कहूं तो लेखन मेरे लिए अपने आपकोव्यक्त करने का माध्यम है. जो हम लिखते हैं, उसे दो माह बाद पढ़कर कुछ न कुछ सबक भी सीखते हैं.

मेरे लिए सोशल मीडिया जानकारी हासिल करने का माध्यम भी है. लेकिन किसी भी इंसान के बारे में सोशल मीडिया पर मौजूद चीजों के आधार पर उस इंसान को जज करना भूल होगी. मैंने अक्सर पाया है कि लोग जैसा काम करते हैं, वह ठीक उसके विपरीत होते हैं. मैं तो सिर्फ जो काम करती हूं, उसे ही सोशल मीडिया पर पोस्ट करती हूं.

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आपको नही लगता कि सोशल मीडिया के चलते कलाकार के स्टारडम को नुकसान हो रहा है?

मेरी राय में यह तो उस कलाकार पर निर्भर करता है कि आप सोशल मीडिया पर क्या पोस्ट करना चाहते हैं. कितना मौजूद रहना चाहते हैं. कुछ कलाकार किस होटल में बैठे हैं,कहां जा रहे है, यहं सब कुछ डालते रहते हैं. मैं ऐसा नहीं करती. हम यह तय करने वाले कौन होते हैं कि एक कलाकार को अपनी निजी जिंदगी की बातें और अपने रिश्तेदारों के बारे में चीजें सोशल मीडिया पर पोस्ट करनी चाहिए या नहीं.

मेरा मानना है कि हर कलाकार को अपने प्रशंसकों के बीच कुछ तो मिस्ट्री /रहस्य बनाकर रखनी चाहिए. मैं इस बात से सहमत हूं कि सोशल मीडिया की वजह से कलाकार के स्टारडम को नुकसान पहुंचता है. अब कलाकार के प्रशंसक कलाकार की निजी जिंदगी में बहुत ज्यादा घुस चुके हैं. पर मैं इस हिसाब से बहुत कम सोशल मीडिया पर मौजूद हूं. हां! किसी ईवेंट में हूं, वहां मीडिया भी है, तो उसके बारे में जरूर कुछ लिख देती हूं. पर रेस्टारेंट जाने, गाड़ी में जाने इन सारी चीजों के बारे में कुछ नहीं लिखती. पिछले दो वर्षोंसे मैंने सिर्फ अपने काम के बारे में लिखा है.

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