दिल की बीमारी का जोखिम महिलाओं पुरुषों में बराबर ही रहता है. हालांकि पुरुषों और महिलाओं में कार्डियोलौजी अलग अलग तरह से काम करता है. पुरुषों और महिलाओं में कार्डियोवैस्क्युलर बीमारियों के साझे जोखिम कारकों (डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, खून में कोलैस्ट्रोल का बढ़ा स्तर और धूम्रपान) के अलावा और भी ऐसे कारक हैं, जो महिलाओं में कार्डियोवैस्क्युलर बीमारी का जोखिम बढ़ा देते हैं.

रजोनिवृत्ति और ऐस्ट्रोजन की हानि

महिलाओं के शरीर में बनने वाला हारमोन ऐस्ट्रोजन हृदय की बीमारियों से प्राकृतिक सुरक्षा मुहैया कराता है. उम्र बढ़ने के साथसाथ प्राकृतिक ऐस्ट्रोजन की कमी से उन में रजोनिवृत्ति के बाद दिल की बीमारी का जोखिम बढ़ सकता है. अगर रजोनिवृत्ति का कारण गर्भाशय या अंडाशय निकालने की सर्जरी की गई हो तो जोखिम और भी बढ़ जाता है.

गर्भनिरोधक गोलियां

खाने वाली कुछ गोलियां दिल की बीमारी का जोखिम पैदा कर सकती हैं खासकर उन महिलाओं में जो धूम्रपान भी करती हैं या जिन्हें उच्च रक्तचाप रहता है. तनाव, मोटापा और अवसाद अच्छेखासे जोखिम कारणों में हैं, जो तुलनात्मक रूप से महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करते हैं.

डायबिटीज की शिकार महिलाओं की कार्डियोवैस्क्युलर बीमारी से मौत का जोखिम डायबिटीज वाले पुरुषों की तुलना में ज्यादा होता है. गर्भावस्था के दौरान अस्थायी डायबिटीज भी महिलाओं में जोखिम बढ़ा देती है.

दिल की कई तरह की बीमारियां महिलाओं में पुरुषों की तुलना में ज्यादा आम हैं. जैसे स्ट्रोक, हाइपरटैंशन, ऐंडोथेलियल डिसफंक्शन और कंजैस्टिव हार्ट फेल्यर.

आज हैल्थकेयर समाज में सब से चर्चित विषय है. अत: महिलाओं को इस बात के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए कि वे अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दें और समय पर रोगनिदान हेतु उपचार का चुनाव करें.

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