इनकम टैक्स का नाम सुनते ही ज्यादातर लोग नए नए तरीके सोचने लगते हैं कि टैक्स कैसे बचाएं, क्या करें कि टैक्स का भुगतान कम करना पड़े. कुछ लोगों का तो आधे से ज्यादा समय टैक्स बचाने की युक्ति खोजने में ही बीत जाता है.
क्या आप भी उन लोगों में शामिल हैं? अगर हां, तो म्यूचुअल फंड में पैसे निवेश करने के बारे में आप का क्या विचार है? अब आप सोच रहे होंगे कि आप को तो म्यूचुअल फंड के बारे में कुछ भी नहीं पता, इस से आप कैसे टैक्स बचा सकते हैं?
एक प्रभावी योजना
दरअसल, म्यूचुअल फंड में ई.एल.एस.एस. एक ऐसी प्रभावी योजना है, जिस में निवेश करने पर आप को अच्छा रिटर्न तो मिल ही सकता है, आप इस से टैक्स में भी छूट पा सकते हैं. ई.एल.एस.एस. एक डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड है, जिस में राशि को अलग अलग उद्योगों और कंपनियों के शयरों में निवेश किया जाता है, जिस से कि फंड में विविधता बनी रहे.
इसमें इनकम टैक्स ऐक्ट 1961 की धारा 80सी के अनुसार एक वित्तीय वर्ष में अपनी सकल कुल आय से अपने ई.एल.एस.एस. निवेश के 1.50 लाख रुपए तक कटौती के रूप में क्लेम किया जा सकता है. टैक्स में छूट के लिए जितनी भी निवेश की अन्य योजनाएं उपलब्ध हैं जैसेकि बैंक डिपौजिट, पीपीएफ, पोस्ट औफिस सेविंग अकाउंट. इन में ई.एल.एस.एस. में सब से कम समय के लिए निवेश किया जाता है.
इस में खरीदी गई यूनिट को तब तक सौंपा, हस्तांतरित गिरवी व स्विच नहीं किया जा सकता जब तक कि संबंधित यूनिट के आवंटन की तिथि से 3 वर्ष पूरे न हो जाएं.
अच्छे रिटर्न का प्रभावी माध्यम
आप सोच रहे होंगे कि किस फंड में निवेश करें? आज मार्केट में कई सारे म्यूचुअल फंड उपलबध हैं, जो टैक्स में छूट की सुविधा देते हैं. इन में कुछ म्यूचुअल फंड टैक्स सेविंग का एक बेहतर विकल्प हैं. म्यूचुअल फंड से प्राप्त राशि टैक्स फ्री होती है यानी जब अवधि पूरी होने पर आप को कुल राशि प्राप्त होती है तो आप को उस पर टैक्स नहीं देना पड़ता. इस में निवेशक को फार्म भर डौक्यूमैंट के साथ चैक को दाता म्यूचुअल फंड के औफिस या फिर रजिस्ट्रार के औफिस में जमा करना पड़ता है.
न्यूनतम निवेश से शुरुआत
यह जरूरी नहीं है कि आप बड़ी रकम निवेश कर के ही कर में छूट पा सकते हैं. इस में आप अपनी सुविधानुसार कितनी भी राशि निवेश कर सकते हैं. निवेश की न्यूनतम राशि 500 रुपए है और अधिकतम राशि निवेश करने की कोईर् सीमा नहीं है. आप कितनी भी राशि निवेश कर सकते हैं.
इस में निवेशक एस.आई.पी. यानी सिस्टेमैटिक इनवैस्टमैंट प्लान द्वारा भी निवेश कर सकते हैं और एकसाथ भी कर सकते हैं. एस.आई.पी. में थोड़थोड़ी राशि किश्तों में जमा की जाती है और एकसाथ कुल राशि का भुगतान एक बार में ही करना पड़ता है.
यह उन लोगों के लिए भी उपयोगी है जिन्होंने अपनी नईनई नौकरी शुरू की है. इस से उन में सेविंग की आदत बनी रहती है. कई लोग ऐसा सोचते हैं कि यह 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए उपयोगी नहीं है. लेकिन ऐसा नहीं है.
यदि कोई व्यक्ति 60 वर्ष से अधिक उम्र का है और उस की आय या पैंशन आदि सब मिला कर कर योग्य है, तो उन के लिए भी यह उपयोगी है. इस में जोखिम है, लेकिन रिटर्न अच्छा मिल सकता है.
मार्केट ऐक्सपर्ट की मानें तो टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड पीपीएफ की तुलना में एक अच्छा विकल्प है.
म्यूचुअल फंड में निवेश करें तो ध्यान रखें कि ई.एल.एस.एस. अन्य म्यूचुअल फंडों की तरह बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए इन में निवेश करते समय सावधानी जरूरी है. निवेश से पहले कंपनी के औफर डौक्यूमैंट को पढ़ना और म्यूचुअल फंड के पुराने ट्रैक रिकौर्ड को देखना जरूरी है.
किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले थोड़ा होमवर्कजरूर करें. ऐसा न करें कि आप को किसी ने कहा और आप ने उस की बातों पर यकीन कर लिया. आप खुद भी जांचपड़ताल कर लें.