फेस्टिवल सीजन में लंहगा के साथ चोली और ब्लाउज को सबसे पसंदीदा पहनावा माना जाता है. फेस्टिवल सीजन में गुजराती डांडिया सबको पंसद आता है. इसको खेलने के लिये चनिया चोली ड्रेस बहुत लुभाती है. अब गुजरात से बाहर के प्रदेशों में भी यह पसंद की जा रही है. लहंगा ब्लाउज और चोली को लेकर तमाम अलगअलग तरह के प्रयोग हो रहे हैं. सबसे ज्यादा प्रयोग फ्यूजन ब्लाउज और चोली को लेकर हो रहे हैं. लहंगा और चोली के साथ ही साथ ‘टैटू’ का क्रेज भी बढ गया है. ज्यादातर महिलाएं टैटू का प्रयोग ब्लाउज और चोली के उपर गरदन के पास या ब्लाउज और चोली के नीचे और लहंगे के उपर कमर के हिस्से पर कर रही हैं. इसके अलावा बैकलेस ब्लाउज और चोली में पीठ पर टैटू बनवाये जा रहे हैं.
बैकलेस ब्लाउज पहनने के बाद पीठ, गरदन, कमर पर टैटू का नया ट्रैंड चल रहा है. ज्यादातर महिलाएं इसे टैंपरेरी ही बनवा रही हैं. जिससे फेस्टिवल के बाद इसको हटाया भी जा सके. कुछ परमानेंट टैटू भी बनवा रही हैं. महिलाओं के लिये चनिया चोली ट्रेडिशनल ड्रेस है. यह बड़े बड़े पैचवर्क के प्रयोग से हैवीलुक वाला होता है. बैकलेस कच्छा कढाई वाले ब्लाउज चोली सबसे ज्यादा पसंद की जाती है. लहंगे के साथ ही साथ इनको साड़ी पर भी पहना जा सकता है. इसके साथ ही साथ अलग अलग रंगो वाली चूड़िया और कमरबंद साड़ी और लहंगा दोनो के साथ यह पसंद किये जा रहे हैं.
मिरर वर्क ने चोली को चमकाया : महंगे और भारी लहंगे के साथ ही साथ हल्के लहंगे भी काफी चलन में है. खासकर यूथ लडकियों को यह बहुत पसंद आ रहा है. इसमें लाइट कलर के लहंगो के साथ हैवी लुक की चोली या ब्लाउज प्रयोग किये जाते है. राजस्थानी वर्क के साथ ही साथ लखनवी चिकन के लहंगे भी प्रयोग किये जा रहे हैं. लहंगो में एक खास बदलाव देखने को मिल रहा है. मिरर वर्क में असली शीशे का प्रयोग होता है. शीशे के विकल्प के रूप में प्लास्टिक के प्रयोग वाले लहंगे अब पसंद नहीं किये जाते. असल में शीशे की चमक रात में अलग ही लुक देती है. लाइट का इफेक्ट लहंगे को और भी अधिक खूबसूरत बना देता है.
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