डिंपल गर्ल के नाम से परिचित अभिनेत्री प्रीती जिंटा हिंदी सिनेमा की जानी मानी अभिनेत्रियों में से एक हैं. हिंदी फिल्मों के अलवा उन्होंने तमिल, तेलगू, पंजाबी और अंग्रेजी फिल्मों में भी काम किया है. अपने फिल्मी कैरियर में उन्होंने कई बेहतरीन फिल्में की हैं. प्रीती को उनके कई फिल्मों के लिए पुरस्कार से भी नवाजा गया है. उन्होंने अपने फिल्मी कैरियर में कई ऐसी भूमिकाएं निभाई हैं जिसे करते हुए हीरोइने बार-बार सोचती हैं. फिल्म ‘चोरी चोरी चुपके चुपके’ ऐसी ही फिल्म थी, जिसमें उन्होंने सेरोगेसी मदर की भूमिका निभाई थी और उन्हें इसके लिए पुरस्कार भी मिला था. शांत और हंसमुख स्वभाव की प्रीति को हमेशा अलग तरह की फिल्में पसंद थी, पर उन्हें अधिकतर मुस्लिम महिला की भूमिका ही मिला करती थी. सिंदूर और बिंदी वाली भूमिका उन्हें ‘भैयाजी सुपरहिट’ फिल्म में मिली, जिसे पाकर वह बहुत खुश हैं. उनसे मिलकर बात करना रोचक था पेश है अंश.

बहुत समय के बाद आप फिर से बड़े पर्दे पर आ रही हैं, वजह क्या है और अब तक क्या कर रही थीं?

मैं फिल्में छोड़ क्रिकेट के व्यवसाय में आ गयी थी. लोग मानते हैं कि मेरी शक्ल है पर अक्ल नहीं है. पुरुष प्रधान हमारा समाज है. उन्हें लगता है कि अगर आप एक्ट्रेस हैं, तो खेल के बारें में कोई जानकारी नहीं है. फिल्म इंडस्ट्री में रहते हुए जब मुझे लगा कि क्रिकेट में जाना है, तो मैं उसमें ही जाने के बारें में सोचती थी. मैंने अभिनय कर अच्छा पैसा कमाया था और उसे अच्छी तरह इन्वेस्ट करना चाहती थी. मुझे याद आता है कि मेरे पिता हमेशा कहा करते थे कि लड़कियां छोटी होने पर पिता पर डिपेंड होती हैं बड़ी होने पर पति और बुढ़ापे में बेटे पर निर्भर हो जाती हैं. मैं हमेशा से आत्मनिर्भर होना चाहती थी. ये सही है कि मैं पहाड़ों पर थी और कभी एक्ट्रेस होने के बारें में सोचा भी नहीं था, लेकिन पिता के गुजर जाने के बाद मैं शादी करना नहीं चाहती थी और मैंने पहले माडलिंग की, फिर फिल्मों में आई और वह जर्नी अच्छी रही. फिर मैंने क्रिकेट में जाने के बारें में सोचा और जिससे भी मैंने इस बारें में बात कही, लोगों ने मुझे पागल समझा. असल में काम के दौरान मैंने अपने परिवार की सारी खुशियों को मिस किया और मुझे ऐसा आगे नहीं करना था. जब मैं क्रिकेट में गयी, तो सभी मुझे देखकर एक क्षण के लिए रुक जाते थे और सोचते थे कि ये लड़की यहां क्यों आई? मेरे काम करने के दो साल बाद कुछ और औरते इस क्षेत्र में आईं.

शायद लोगों को पता नहीं था कि मैं एक स्पोर्ट्स पर्सन हूं. बास्केट बौल प्लेयर, गन शूटिंग, हौर्स राइडिंग चैंपियन, एथलीट आदि रह चुकी हूं. एक्ट्रेस तो में थी ही नहीं, सरोज खान ने डांट-डांट कर मुझे डांस एक्टिंग सिखाई. उन्हें मैं गुरु मानती हूं. क्रिकेट में आने पर लोगों की सोच थी कि वे मेरे साथ बात या ड्रिंक कर सकते हैं, लेकिन क्रिकेट के बारें में मुझे कुछ नहीं आता और यही मेरे लिए चैलेंज बन गया था. लड़की हूं, तो सवाल नहीं पूछ सकती, लड़का है तो भले तमाचा मार दे, तो भी चलेगा. इस तरह से मैं उसमें व्यस्त थी और जब सनी देओल ने मुझे इस फिल्म की बात बताई, तो पहले मैंने इसे करने से मना कर दिया था. मुझे प्रोडक्शन करने की इच्छा थी, पर ये भूमिका मुझे बहुत पसंद आई, क्योंकि इसमें मेरी देसी भूमिका है और मैंने अपने कैरियर में ऐसी फिल्म नहीं की थी, इसलिए मैंने इसके लिए हां कर दी.

इसे बनने में इतनी देर क्यों लगी?

इस फिल्म की शूटिंग साल 2013 में शुरू हुई थी, जिसमें केवल सनी देओल ने ही कुछ शूट किये इसके बाद फिल्म कहां गयी किसी को कुछ पता नहीं था. मैं भी इसे भूल चुकी थी, लेकिन जब साल 2016 को जिस दिन मेरी शादी थी, उस दिन मुझे उस फिल्म के लिए फोन आया पहले तो मैंने मना किया, पर बाद में मैंने उसे पूरा किया.

आपके पति आपके काम में कितना सहयोग देते हैं?

मेरे पति ने ही मुझे इस फिल्म को पूरा करने की बात कही, जब मैं दूसरी एक्ट्रेस का नाम निर्देशक को सूझा रही थी, उन्होंने खुद मुझसे कहा कि किसी दूसरे का नाम देने के बजाय खुद फिल्म को पूरा क्यों नहीं कर लेती और तुम जो हो, मैंने उससे शादी की है और मैं तुम्हे उसी रूप में देखना पसंद करता हूं. ये बात मुझे अच्छी लगी और मैंने फिल्म पूरी की.

क्या आपके स्पष्टभाषी होने का असर आपके कैरियर पर कभी पड़ा?

नहीं, क्योंकि मैं काम भी उसी तरह से करती हूं. आपको अपने आप से कभी झूठ बोलने की जरुरत नहीं. आपको पहले ये समझना जरुरी है कि आप क्या हो? उसी तरह से मेरी परवरिश हुई है. मेरे माता-पिता हमेशा कहा करते थे कि सही बात के लिए आप कभी पीछे न हटो. लोग क्या कहते हैं, इस बारें में कभी मत सोचो. जीवन में आपको बहुत सारी चीजो से कोम्प्रोमाईज करना पड़ता है, पर अपने बेसिक से कभी भी कोम्प्रोमाईज मत करो. मुझे नकारात्मक प्रतिक्रियाएं भी मिली है, पर अगर आप सही बात के लिए नहीं बोलते हैं, तो ये और भी गलत होता है. कहीं भी अगर कुछ भी गलत होता है, तो तुरंत उठकर उसका सामना करना चाहिए. फिल्मों से अधिक मुझे क्रिकेट में सबसे अधिक समस्या आई और सही बात को कहने में मैं कभी पीछे नहीं हटी.

अब तक की कौनसी फिल्म आपके दिल के करीब है?

मेरी सभी फिल्में मुझे बहुत पसंद है. कई बार लोग मुझे कहते थे कि तुम सामाजिक कार्यकर्ता बन जाओ, क्योंकि एक फिल्म की शूटिंग के दौरान हीरो जब मेरा बाल पकड़ कर खीचता है, तो मैंने उसे लात मार दी थी. जब उन्होंने इसका कारण पूछा तो मैंने साफ कह दिया कि रोमांस में आपको खुशी मिलनी चाहिए, अगर आपको किसी वजह से दर्द हो रहा है, तो वह रोमांस नहीं है. मैंने किसी भी फिल्म में अगर कुछ गलत देखा है, तो वहीं उसे कहने से कभी हिचकिचाई नहीं. इसके अलावा मेरी सभी फिल्में मैंने ऐसी करनी चाही, जो मेरे परिवार के सभी लोग साथ बैठकर देख सके.

कोई सोशल वर्क जिसे आप करना चाहती हैं और हमारे देश में बहुत जरुरत है?

मैंने बहुत पहले से भारत की महिलाओं के लिए काम करना शुरू कर दिया है. मेरा सबसे मुख्य प्रोजेक्ट ‘कन्या भ्रूण हत्या’ पर है. इसके अलावा महिलाओं को शिक्षित करना और ह्यूमन ट्राफिकिंग पर भी काम करती हूं.  महाराष्ट्र के नासिक के पास के गांव में कई कुएं खुदवाएं हैं. वहां के बुजुर्गों को मैं सहयोग करती हूं. इस तरह से जितना हो सके वह मैं करती हूं. ‘किंग्स इलेवेन पंजाब’ में से जितना पैसा आता है, उससे मैं महिलाओं के लिए टौयलेट, सुरक्षा आदि विषयों पर जो हो सकता है, करती हूं.

आगे की योजनायें क्या है? क्या बाकी रह गया है?

आगे और कई फिल्में करना चाहती हूं. मुझे अभी फिर से फिल्में करने में मजा आ रहा है. मैं एक बायोपिक, एक्शन फिल्म, हिस्टोरिक और एक डबल रोल वाली फिल्म करना चाहती हूं. प्रोडक्शन में भी कुछ करना चाहती हूं.

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