आए दिन सांस फूलने की शिकायतें सुनने को मिलती हैं. शादीब्याह या किसी छोटेमोटे प्रोग्राम में मौसी, बूआ, ताऊ, चाची या अन्य किसी चिरपरिचित को सांस फूलने की शिकायत करते सुना जाता है. क्या कभी आप ने सोचा कि सांस फूलने के असली कारण क्या हैं.

सांस फूलना

सांस फूलने की मुख्य वजह है शरीर को औक्सीजन ठीक से न मिल पाना जिस से फेफड़े पर अनावश्यक दबाव पड़ता है. ऐसे में फेफड़े औक्सीजन पाने के लिए श्वसन क्रिया की गति को बढ़ा देते हैं जिस को हम सरल भाषा में सांस फूलना कहते हैं. यदि समय रहते सांस फूलने पर ध्यान नहीं दिया गया तो इस के परिणाम जानलेवा हो सकते हैं.

सांस फूलने के रोकने के 2 उपाय हैं. एक, या तो शरीर की औक्सीजन की मांग पूरी करने के लिए बाहर से अतिरिक्त औक्सीजन दी जाए, दूसरे, शरीर की औक्सीजन की मांग को कम किया जाए.

महत्त्वपूर्ण कारण

सांस फूलने के खासकर अपने देश में 2 मुख्य कारण हैं. एक तो ज्यादा मोटापा व दूसरा शरीर में खून यानी लाल कणों की कमी. अगर औक्सीजन को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने वाले रक्तकणों यानी हीमोग्लोबिन की कमी है तो औक्सीजन की सप्लाई बाधित होगी.

अपने देश में अधिकांश महिलाएं कुपोषण की शिकार हैं. काफी संख्या में महिलाएं बच्चेदानी की समस्या व उस से जुड़ी अनावश्यक व अधिक रक्तस्राव (ब्लीडिंग) की समस्या से पीडि़त हैं. देश में अधिकतर बच्चों के जन्म के बीच फासला काफी कम होना भी अनीमिया व सांस फूलने की शिकायत का एक बहुत बड़ा कारण है. सांस न फूले, इस के लिए कुपोषण समाप्त करना जरूरी है.

मोटापा एक अभिशाप

आजकल लोगों की आरामतलबी बढ़ रही है. नियमित सुबह की सैर व व्यायाम का अभाव, शराब व चरबीयुक्त खा- पदार्थों का भरपूर सेवन ये दोनों बातें शरीर के मोटापे को तेजी से बढ़ा रही हैं. अकसर मोटे लोगों को यह शिकायत करते सुना जाता है कि जरा सी सीढ़ी चढ़ने में सांस फूलती है. मोटापे में जरूरी नहीं कि दिल की बीमारी ही हो. समय रहते यदि कुपोषण खत्म कर दिया जाए व मोटापे को नियंत्रित किया जाए तो सांस फूलने की समस्या से छुटकारा मिल सकता है.

फेफड़े का रोग, बड़ा कारण

फेफड़े का इन्फैक्शन, जैसे निमोनिया व टीबी सांस फूलने का सब से बड़ा कारण हैं? श्वास नली व उस की शाखाओं में सूजन भी इस का एक कारण है जिसे मैडिकल भाषा में एस्थमैटिक ब्रांकाइटिस कहते हैं. कभीकभी श्वास नली पर किसी गिल्टी या छाती में ट्यूमर का दबाव भी सांस फूलने का कारण बन सकता है. अकसर दुर्घटना में छाती की चोट का सही इलाज न होने पर अंदर

खून या मवाद जमा हो जाता है और उस से फेफड़ों पर दबाव बनता है. इस से अकसर सांस फूलने के साथसाथ खांसी की भी शिकायत रहती है.

स्केलोडरमा नाम की बीमारी फेफड़े को आहत करती है और फेफड़े के अंदरूनी हिस्से में अस्वाभाविक बदलाव आता है. इस से फेफड़े की बाहरी औक्सीजन सोखने की क्षमता कम हो जाती है और जरा सा चलने पर सांस फूलने लगती है.

दिल के रोग

यदि आप का दिल कमजोर है यानी पिछले हार्टअटैक के दौरान दिल का कोई हिस्सा बहुत कमजोर या नष्ट हो गया है तो ऐसा कमजोर दिल खून व पानी का साधारण भार भी नहीं उठा पाता और सांस फूलने का कारण बन जाता है. ऊपर से अगर मोटापा भी है, तो स्थिति और भी कष्टकारी हो जाती है.

दायीं तरफ का दिल गंदे खून का स्टोरहाउस है जो धड़कन के साथ शरीर के अंगों से आए गंदे खून को फेफड़े की तरफ शुद्धीकरण के लिए भेजता है और फिर यह खून दिल के बाएं हिस्से में इकट्ठा होता है और धड़कन के साथ शरीर के अन्य अंगों में जाता है.

अगर किसी को पैदाइशी दिल की बीमारी है और दिल के अंदर शुद्ध व अशुद्ध खून का आपस में सम्मिश्रण होता रहता है, तो जिस्म में नीलापन दिखता है विशेषकर उंगलियां व होंठ प्रभावित होते हैं और साथ ही, सांस फूलने की भी शिकायत रहती है.

आवश्यक जांच

वैसे तो अनगिनत जांचें हैं पर कुछ बहुत जरूरी जांचें सांस फूलने के कारण को समझने व उस के इलाज के लिए आवश्यक हैं, जैसे छाती का ऐक्सरे, छाती का एचआर, सीटी, पीएफटी, दिल के लिए डीएसई (डोब्यूटामीन स्ट्रैस ईको), खून की जांच जैसे विटामिन ‘डी’ की मात्रा व ब्लड गैस एनालिसिस आदि.

सांस फूलने पर क्या करें

उस अस्पताल में जाएं जहां आवश्यक जांचों की सुविधा हो. संबंधित जांचों के बाद अगर लगे कि सांस फूलने का कारण फेफड़ा है तो किसी छाती रोग विशेषज्ञ व थोरेसिक सर्जन से सलाह लें. यदि फेफड़ा क्षतिग्रस्त है या दबाव में है तो तुरंत सर्जरी करवाएं, आप की जरा सी  लापरवाही दूसरी तरफ के नौर्मल फेफड़े को भी नुकसान पहुंचा सकती है. अगर सांस फूलना दिल की वजह से है तो किसी हृदयरोग विशेषज्ञ या कार्डियोथोरेसिक सर्जन से सलाह लें. किडनी विशेषज्ञ की राय भी लेनी पड़ती है अगर गुरदे के कारण सांस फूल रही है.

कुछ खास बातें

यदि आप 20 साल की उम्र से ही रोज 2 घंटे नियमित टहलते हैं और 2 घंटे धूप का सेवन करते हैं तथा धूलधक्कड़ से दूर रहते हैं तो यकीन मानिए आप सांस फूलने की समस्या से काफी हद तक बचे रहेंगे. मोटापा किसी भी हालत में न पनपने दें.

रोज तकरीबन 350 ग्राम सलाद व 350 ग्राम फलों का सेवन करें. प्रोटीन भरपूर मात्रा में लें. पत्तेदार सब्जियों का नियमित सेवन करें. किसी तरह के धूम्रपान व तंबाकू के सेवन से बचें. शराब न पीएं. अगर आप यह सलाह मानेंगे तो सांस फूलने की तकलीफ ले कर आप को अस्पताल के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे.                        –

(लेखक दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में वरिष्ठ थोरेसिक एवं कार्डियो वैस्कुलर सर्जन हैं.)

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