पक्षाघात यानि ब्रेन स्ट्रोक या सेरेब्रोवैस्कुलर एक्सीडेंट, मस्तिष्क के किसी भाग में ब्लड सप्लाई बाधित होने या कम होने से यह बीमारी होती है. मस्तिष्क में औक्सीजन और पोषक तत्वों के कमी से ब्लड वेसेल्स के बीच ब्लड क्लोटिंग की वजह से उसकी क्रियाएं बाधित होने लगती है और मस्तिष्क की पेशियां नष्ट होने लगती है जिससे मस्तिष्क अपना नियंत्रण खो देता है, जिसे स्ट्रोक या पक्षाघात कहते हैं. यदि इसका इलाज समय पर नहीं किया गया तो मस्तिष्क हमेशा के लिए डैमेज हो सकता है, जिससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है. आज विश्व में करीब 80 मिलियन लोग स्ट्रोक से ग्रस्त हैं तो वही 50 मिलियन से ज्यादा लोग स्थायी तौर विकलांग हो चुके हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 25 प्रतिशत ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की उम्र 40 वर्ष है. इस बात को ध्यान में रखते हुए 29 अक्टूबर को हर साल ‘वर्ल्ड स्ट्रोक डे’ सेलिब्रेट किया जाता है जिसका उद्देश्य स्ट्रोक के रोकथाम, उपचार और सहयोग के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना है.
मस्तिष्क सम्बंधित बिमारियों पर रिसर्च और लोगों में जागरूकता बनाने के उद्देश्य से मुंबई स्थित अपैक्स सुपरस्पेशलिटी हौस्पिटल के वरिष्ठ मस्तिष्क रोग स्पेशलिस्ट एवं न्यूरोलोजिस्ट डा. मोहीनीश भटजीवाले बताते है कि दुनियाभर में ब्रेन स्ट्रोक को मौत का तीसरा बड़ा कारण माना जा रहा है. केवल भारत में हर एक मिनट में छह व्यक्तियों की मौत हो रही है. क्योकि यहां ब्रेन स्ट्रोक जैसे मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में इसके लक्षण, कारण, रोकथाम और तत्काल उपाय के प्रति जन जागरूकता का गंभीर रूप से अभाव है. अन्यथा, ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों को तत्काल चिकित्सीय उपचार की मदद से उनके अच्छे होने के चांसेस 50 से 70 प्रतिशत बढ़ जाते हैं.
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