भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देशों में से एक है. इसी का परिणाम है कि अब भारतीय जनमानस भी कारोबार के नजरिए से अपनी सोच को ग्लोबल बना रहा है. 1990 में हुए आर्थिक उदारीकरण के बाद भारत में निजी क्षेत्र के बैंको को आसानी से लाइसेंस मिलने लगे, जिससे आने वाले अगले दो दशक में बड़े बदलाव हुए. आम जनता अब पैसा बचाने के लिए सिर्फ बचत नहीं करती बल्कि निवेश भी करती है यानि पैसे से पैसा बनाना.

लोक भविष्य निधि यानि पब्लिक प्रोविंडेट फंड (PPF) और बैंक डिपॉजिट. दोनों योजनाओं में से बेहतर निवेश योजना पीपीएफ है.

बेहतर ब्याज दर

पब्लिक प्रोविडेंट फंड में ब्याज की दरें बैंक डिपॉजिट की दरों से बेहतर होती हैं. हालांकि हर तिमाही इसमें संशोधन होते रहते हैं. वर्तमान में पीपीएफ की ब्याज दर 8.1 प्रतिशत है जो कि बैंक डिपॉजिट से ज्यादा है. पीपीएफ के मुकाबले बैंक डिपॉजिट पर केवल 7.5 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलता है.

ब्याज दरों पर कराधान

बैंक डिपॉजिट पर टैक्स कटता है. बैंक डिपॉजिट पर जो ब्याज मिलता है वह भी टैक्स के दायरे में आता है. वहीं पीपीएफ में निवेश करने पर टैक्स में छूट मिलती है और इससे मिलने वाली ब्याज दर भी कर मुक्त होती है.

धारा 80C के अंतर्गत लाभ

अगर आप 1.5 लाख रुपए से अधिक का निवेश कर रहे हैं तो आयकर अधिनियम 80C के तहत टैक्स में छूट मिलेगी. अधिकतर बैंकों में ऐसे डिपॉजिट पर आपको टैक्स छूट की ये सुविधा आपको तभी मिलती जब आपका डिपॉजिट बचत योजना से जुड़ा हुआ हो.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...