इंडोनेशिया के जकार्ता में हुए 18वें एशियाड खेलों में देश के खिलाडि़यों ने पहले से कहीं बेहतर खेल दिखाते हुए खासे मैडल हासिल किए तो उन्हें इनामों व बधाइयों से नवाजा भी गया. लगभग हर खेल में भारतीय खिलाडि़यों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया और तिरंगे की शान में चारचांद लगा दिए.
ऐसा ही एक खेल था लेजर 4.7 ओपन सेलिंग जो पानी की लहरों पर खेला जाता है. इस अनूठे खेल में ब्रौंज मैडल भोपाल की 16 वर्षीया हर्षिता तोमर ने जीता था. पदक जीतते ही हर्षिता मध्य प्रदेश की पहली सब से कम उम्र की खिलाड़ी बन गई जिस ने यह मैडल जीता.
हर्षिता पिछले 3 वर्षों से कड़ी मेहनत कर रही थी, जिस का सिला उसे ब्रौंज मैडल के रूप में मिला. इस से नाम तो हुआ ही, साथ ही मध्य प्रदेश सरकार ने उसे 50 लाख रुपए बतौर इनाम दिए जो उस के लिए काफी माने रखते हैं. उस का सपना अब ओलिंपिक में मैडल जीतने का है.
एशियाड खेलों में पदक जीतना कोई मामूली बात नहीं होती लेकिन हर्षिता को यह मैडल उस की मेहनत, प्रैक्टिस और काबिलीयत के चलते नहीं, बल्कि नर्मदा नदी की मेहरबानी से मिला. हमारे देश में अंधविश्वासों का बोलबाला किस कदर और किस हद तक है, इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर्षिता के पिता देवेंद्र तोमर ने 10 अगस्त को बेटी को फोन कर कहा था कि जब खेलने उतरो तो 2 अगरबत्तियां मां नर्मदा के नाम पर जला देना.
देवेंद्र तोमर ने यह अंधविश्वासी टोटका हर्षिता को उस के कोच जी एल यादव के जरिए दिया था, क्योंकि उन की बेटी से बात नहीं हो पाई थी. इस से अहम बात यह साबित हुई कि खेलों में पदक जीतने के लिए मेहनत व लगन से ज्यादा देवीदेवता, टोनेटोटके और नदीपहाड़ काम आते हैं.
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