अंततः कंगना रनौत और फिल्म ‘‘रानी लक्ष्मी बाई’’ के निर्देशक केतन मेहता की राहें अलग अलग हो गयीं. सर्वविदित है कि कंगना रनौत और केतन मेहता पिछले दो वर्ष से झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की बायोपिक फिल्म ‘‘रानी लक्ष्मी बाई’’ पर काम करते आ रहे हैं.

इस फिल्म के लिए केतन मेहता ने काफी शोध कार्य किया. उधर कंगना ने भी अपनी तरफ से लक्ष्मीबाई पर तमाम किताबें पढ़ डाली. पर ‘रंगून’ की असफलता के बाद कंगना रनौत झांसी की रान लक्ष्मी बाई की बायेापिक फिल्म कर तो रही हैं, मगर उन्होंने सारे समीकरण बदल डाले.

अब कंगना रनौत केतन मेहता के निर्देशन में फिल्म ‘‘रानी लक्ष्मीबाई’’ नहीं करेंगी. संभवतः अब यह फिल्म कभी नहीं बनेगी. पर कंगना ने अपने तीसवें जन्म दिन पर निर्देशक कृष की दक्षिण भारतीय भाषा के अलावा हिंदी में बनने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की बायोपिक फिल्म ‘‘मणिकर्णिका’’ के साथ खुद को जोड़ते हुए फिल्म के पोस्टर के लिए शूटिंग भी की.

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का शादी से पहले का नाम मणिकर्णिका था. उनके पिता उन्हें मनु कहकर बुलाते थे. इस फिल्म के लेखक विजयेंद्र प्रसाद हैं, जो कि ‘बजरंगी भाईजान’ और ‘बाहुबली’ जैसी सुपरहिट फिल्मों के लेखक हैं. विजयेंद्र प्रसाद मशहूर निर्देशक एस एस राजामौली के पिता भी हैं. इतना ही नहीं सूत्र दावा कर रहे हैं कि फिल्म ‘‘मणिकर्णिका’’ का निर्माण संजय लीला भंसाली करने वाले हैं.

मगर सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर कंगना ने केतन मेहता को अंगूठा क्यों दिखाया? सूत्र दावा कर रहे हैं कि फिल्म ‘रंगून’ के असफल होने के बाद कंगना ने केतन मेहता के सामने शर्त रखी कि उन्हें फिल्म के लेखन व निर्देशन में भी नाम चाहिए. केतन मेहता कंगना का नाम सह लेखक के रूप में देने को तैयार थे, पर निर्देशन में केतन मेहता को किसी की भी दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं थी. इसी के चलते सारा मामला बिगड़ गया.

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