जिस तरह से सैक्सुअल हैरेसमैंट के आरोप देशभर में लगाए जाने लगे हैं, उस से साफ है कि यहां सारी शिक्षा, सादगी, सतकर्मों के व्याख्यानों, पूजापाठ के ढकोसलों के बावजूद मर्द आज भी मर्द हैं और उन की निगाहों में लड़कियां और औरतें सिर्फ और सिर्फ उन के इशारों पर चलने वाली सैक्सी गुडि़याएं हैं, और कुछ नहीं.

हर सुंदर, आकर्षक, बोल्ड, सफल युवती के साथ यह चैलेंज रहता है कि वह अपनी सफलता पर गर्व करे या नहीं, क्योंकि चाहेअनचाहे उसे तरहतरह के कंप्रोमाइज करने होते हैं. आज स्थिति यह है कि वह समझ नहीं पाती कि उस का सैक्स पार्टनर उस से वास्तव में प्रेम करता है या सिर्फ अपनी मर्दानगी और ओहदे का उपयोग कर रहा है. जिसे वह प्यार व समर्पण समझती है हो सकता है केवल नकली हो और पुरुष नाना पाटेकर या आलोक नाथ की तरह हो सकता है जो ऐक्टिंग में सहायता देने के बहाने सैक्सुअल टैस्टिंग कर रहा हो.

औरतों ने शरीर की कीमत सदियों से दी है. धर्म का पूरा ढांचा ही औरतों की टांगों के बीच पर टिका है और यह केवल हिंदू धर्म में ही नहीं है, लगभग हर धर्म में है कि औरतों को सैक्स गुलाम बनाने के कुछ स्पष्ट तो कुछ अस्पष्ट नियमकानून व रिवाज बनाए गए हैं.

हर धर्म कौमार्य के गुणगान गाता है पर पुरुष के नहीं केवल स्त्री के. विधवा विवाह ज्यादातर धर्मों में हिकारत से देखा जाता है. हिंदू धर्म तो इजाजत ही नहीं देता, इसलाम और क्रिश्चियनिटी में भी आसान नहीं रहा है. पुरुष को कभी भी अनब्याहियों की कमी नहीं रही है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...