डा. अरविंद कुमार ने थोरेसिक सर्जन के रूप में पूरे विश्व में अपनी एक विशेष पहचान बनाई है. डा. कुमार ने 10 हजार से अधिक थोरेसिक सर्जरियां की हैं. वे मिनिमली इनवेसिव (की-होल) और रोबोटिक सर्जरी में भी दक्ष हैं. भारत में सबसे पहले “विडियो असिस्टेड थोरोस्कोपिक सर्जरी (वीएटीएस)” का श्रेय भी उन्हीं को जाता है.
डा. कुमार ने नई दिल्ली स्थित औल इंडिया इंस्टीट्यूट औफ मेडिकल साइंसेस (एम्स) से एम.बी.बी.एस और फिर एम.एस. (सर्जरी) की पढ़ाई की और फिर यहीं कईं वर्षों तक एक सर्जन और प्रोफेसर के रूप में काम किया. डा. कुमार को कईं विश्व प्रसिद्ध संस्थाओं से अंतर्राष्ट्रीय फैलोशिप प्राप्त है जिनमें लिवरपुल हौस्पिटल सिडनी, औस्ट्रेलिया, युनिवर्सिटी औफ फ्लोरिडा, यूएसए आदि सम्मिलित हैं. चिकित्सा के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान
को देखते हुए उन्हें 2014 में एमिनेंट मेडिकल पर्सन औफ द ईयर श्रेणी में, डा. बी.सी.राय पुरुस्कार सहित कई सम्मान मिले हैं.
वर्तमान में डा. कुमार, नई दिल्ली स्थित श्री गंगाराम हौस्पिटल में सेंटर फौर चेस्ट सर्जरी के चेयरमैन और इंस्टीट्यूट औफ रोबोटिक सर्जरी के निदेशक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वे लंग केयर फाउंडेशन के फाउंडर एंड मैनेजिंग ट्रस्टी भी हैं.
देखा जाए तो पिछले कुछ वर्षों में लंग कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है. पहले इसे “स्मोकर्स डिसीज” कहा जाता था लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है. अब युवा, महिलाएं और धुम्रपान न करने वाले भी तेजी से इस की चपेट में आ रहे हैं. लंग केयर फाउंडेशन द्वारा हाल में किए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में लंग कैंसर के शिकार 21 प्रतिशत लोग 50 से कम उम्र के हैं. इन में से कुछ की उम्र तो 30 वर्ष से भी कम है.
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