कभी खिलौने तोड़ने, कभी होमवर्क न करने, कभी टीवी ज्यादा देर तक देखने, कभी सुबह जल्दी न उठने को ले कर हर बच्चे को कभी न कभी बचपन में अभिभावकों से अवश्य मार पड़ी होगी. जब बच्चे पेरैंट्स के अनुसार काम नहीं करते तो पेरैंट्स को गुस्सा आता है और गुस्से में वे पहले बच्चों को डरातेधमकाते हैं और जब ऐसा करने से बात बनती नहीं दिखती, तो वे बच्चों पर हाथ उठा देते हैं. पेरैंट्स ऐसा करते समय सोचते हैं कि वे ऐसा बच्चों की भलाई के लिए कर रहे हैं, उन्हें सुधारने के लिए कर रहे हैं. पर क्या बच्चों पर हाथ उठाना सच में बच्चों की भलाई के लिए होता, आइए जानते हैं :

हाथ उठाने के पीछे कारण :

साइकोलौजिस्ट प्रांजलि मल्होत्रा के अनुसार, ‘‘पेरैंट्स को लगता है कि बच्चों को मारना उन को सिखानेसमझाने का तरीका है, मारने से वे समझ जाएंगे और दोबारा वही गलती नहीं करेंगे. लेकिन, ऐसा नहीं है.

‘‘कई बार तो बच्चे यह भी नहीं समझ पाते कि उन्हें मार किस बात पर पड़ी है. कई बार बच्चे अकारण भी मार खा जाते हैं. बच्चों पर हाथ उठाने से न सिर्फ उन्हें शारीरिक रूप से चोट पहुंचती है बल्कि वे मानसिक रूप से भी कमजोर पड़ जाते हैं.

‘‘कई मामलों में बच्चों पर हाथ न उठा कर यदि प्यार से समझाया जाए तो उन पर सकारात्मक प्रभाव होता है. शारीरिक हिंसा बच्चों को गलत रास्ता दिखाती है. साथ ही, बच्चे यह समझ बैठते हैं कि सभी समस्याओं का हल केवल एक हाथ उठाने से हो सकता है. ऐसे में वे अपने आसपास दोस्तों के साथ भी मारपीट का रवैया अपनाने लगते हैं.’’

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हाउसवाइफ ज्यादा उठाती हैं हाथ :

मुंबई के एक एजुकेशनल गु्रप पोद्दार इंस्टिट्यूट औफ एजुकेशन द्वारा देश के 10 शहरों में किए गए सर्वे के अनुसार, घर में रहने वाली मांएं बच्चों पर पुरुषों की तुलना में अधिक हाथ उठाती

हैं. हैरानी की बात यह है कि 77 प्रतिशत मामलों में मां ही बच्चों को पीटती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि कामकाजी महिलाओं के पास बच्चों के लिए बहुत कम समय होता है, इसलिए वे कम हाथ उठाती हैं जबकि हाउसवाइफ बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताती हैं, इसलिए उन की गलतियों को ले कर वे ज्यादा सख्त होती हैं.

रिश्ते में आ सकती हैं दूरियां :

बच्चों को मार खाना न केवल अपमानित लगता है बल्कि मार उन्हें अशांत या डरपोक बना सकती है. बातबात पर हाथ उठाने से जहां कुछ बच्चे उग्र हो जाते हैं वहीं कुछ बच्चे हर समय डरेसहमे रहने लगते हैं, वे किसी से बात करने से भी कतराने लगते हैं. बड़े होने पर ये सारी समस्याएं उन के विकास में बाधक बन सकती हैं. बारबार मारने से बच्चों में पेरैंट्स का डर खत्म हो जाता है और हो सकता है आप का यह व्यवहार आप के और बच्चों के रिश्ते में दूरियां भी ला दे.

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