भारत में कुछ पर्यटन स्थल ऐसे हैं जो अपनी संस्कृति और विरासत के मामले में अद्वितीय हैं. ओडिशा राज्य उन्हीं में से एक है. अपनी समृद्ध परंपरा एवं अपार प्राकृतिक संपदा से युक्त ओडिशा पर्यटन के लिहाज से महत्त्वपूर्ण प्रदेश है. इस राज्य में अनगिनत खूबसूरत नजारे व अनुभव सिमटे हुए हैं.

चिल्का झील

जगन्नाथपुरी से 165 किलो- मीटर दूर स्थित चिल्का झील का सौंदर्य पर्यटकों को अपनी ओर खूब आकर्षित करता है. खारे पानी की सब से बड़ी यह झील बंगाल की खाड़ी में जा कर मिलती है. राज्य के समुद्रतटीय हिस्से में फैली यह झील अपनी अवर्णनीय खूबसूरती एवं पक्षी जीवन के लिए विश्वप्रसिद्ध है. झील में कैस्पियन सागर, बैकल झील व अरब सागर से ले कर रूस, मंगोलिया व दक्षिणपूर्व एशिया, लद्दाख व हिमालय से पक्षी आते हैं. ये पक्षी 12 हजार किलोमीटर से भी अधिक का सफर तय कर चिल्का झील तक पहुंचते हैं. झील के एक ओर संकरा सा मुखद्वार है जहां से ज्वार के समय समुद्री जल इस में आ समाता है और तब सुंदर लैगून की रचना होती है.

चिल्का झील में महानदी की भार्गवी, दया कुसुमी, सालिया, कुशभद्रा जैसी धाराएं भी समाहित होती हैं. इन के चलते इस में मीठे जल का संगम होता है. इस मिश्रित जल में ऐसे कई गुण हैं जो यहां के जलीय पौधों व जीवजंतुओं को जीवनदान देते हैं. यहां पक्षियों की लगभग 158 प्रजातियां देखी जाती हैं. इन में 95 प्रकार के प्रवासी होते हैं जो यहां आ कर डेरा डालते हैं.

बत्तख, नन्हे, स्टिनर, सेंडरलिंग, के्रन, गोल्डन, प्लोवर, फ्लेमिंगो, स्टोर्क गल्स और ग्रे पेलिकन यहां पाए जाने वाले प्रमुख पक्षी हें. अक्तूबर- नवंबर माह से आने वाले पक्षी दिसंबरजनवरी में ऐसे दिखते हैं मानो पक्षियों की अलगअलग कालोनियां बसी हों.

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