कालेज कंपाउंड में चारों दोस्त सुमति को सांत्वना दे रहे थे. अब हो भी कुछ नहीं सकता था. आज अकाउंट्स के प्रैक्टिकल जमा करने का आखिरी दिन था. सुमति को भी यह बात पता थी परंतु बूआ के लड़के की शादी में जाने के कारण उस के दिमाग से यह बात निकल गई. आज छुट्टियों के बाद कालेज आई तो मालूम पड़ा प्रैक्टिकल पूरे 20 नंबर का है.

‘‘गए 20 नंबर पानी में,’’ सुरक्षा दुखी स्वर में बोली.

‘‘20 नंबर बड़ी अहमियत रखते हैं,’’ रोनी सूरत बनाते हुए सुमति बोली.’’

‘‘मैडम बड़ी स्ट्रिक्ट हैं. आज प्रैक्टिकल सबमिट नहीं किया तो फिर लेंगी नहीं,’’ राजन बोला.

‘‘प्रैक्टिकल में जीरो मिलना मतलब कैंपस इंटरव्यू में भी अवसर खोना,’’ सुयश ने अपना पक्ष रखा.

‘‘इस का असर तो कैरियर पर पड़ेगा,’’ धीरज बोला.

‘‘लो, दूर्वा भी आ गया,’’ दूर से आते हुए देख सुयश बोला. ‘‘मतलब हम 6 में से 5 के प्रैक्टिकल कंपलीट हैं.’’

‘‘यारो, हंसो. रोनी सूरत क्यों बना रखी,’’ दूर्वा जोर से गाता हुआ गु्रप के बीच आ कर खड़ा हो गया.

‘‘क्या मस्तीमजाक करते रहते हो हर टाइम,’’ सुमति चिढ़ कर बोली, ’’यहां मेरी जान पर बनी हुई और तुम्हें मजाक सूझ रहा है.’’

‘‘क्या हुआ?’’ दूर्वा लापरवाही वाले अंदाज में बोला.

पूरा माजरा सुनने के बाद दूर्वा बोला, ‘‘अगर हम सभी आज प्रैक्टिकल जमा न करें तो.’’

‘‘तो क्या? अभी सिर्फ सुमति का नुकसान हो रहा है. फिर हम सब को जीरो नंबर मिलेंगे,’’ सुरक्षा बोली.

‘‘नहीं, मेरा मतलब है पूरी क्लास,’’ दूर्वा बोला.

‘‘मगर क्लास ऐसा करेगी क्यों?’’ सुमति आश्चर्य से बोली.

‘‘अगर मैं ऐसा करवा दूं तो मुझे क्या दोगी?’’ दूर्वा ने प्रश्न किया.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...