दीवाली आते ही महिलाओं पर शौपिंग का जनून सवार हो जाता है. हो भी क्यों न. यह अवसर ही नई चीजों को आशियाने में लाने का और पुरानी को बाहर करने का होता है. लेकिन दीवाली की शौपिंग तब तक अधूरी रहती है जब तक कि गोल्ड की कोई चीज न खरीदी जाए. दरअसल, भारत में गोल्ड को लग्जरी से ज्यादा इन्वैस्टमैंट के रूप में देखा जाता है. फिर सोने की लगातार बढ़ती कीमत ने इस बात को साबित भी कर दिया है कि गोल्ड निवेश का एक अच्छा जरीया है.

फाइनैंस सलाहकार अभिनव गुलेचा कहते हैं, ‘‘गोल्ड में निवेश करने से महिलाओं के दोनों शौक पूरे हो जाते हैं. पहला उन के गोल्ड कलैक्शन में इजाफा हो जाता है और दूसरा उन की इन्वैस्टमैंट की ख्वाहिश भी पूरी हो जाती है.’’

सोने में निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं. गहनों के रूप में या फिर सिक्कों के रूप में सोना खरीदने के अलावा भी सोने में और कई तरीकों से पैसे लगाए जा सकते हैं. इन के अलावा सोने में निवेश के लिए म्यूचुअल फंड प्रारूप भी उपलब्ध है. गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड फंड भी अच्छे विकल्प हैं. यह निवेशक की अपनी सहूलियत पर निर्भर करता है कि वह इन में से किस विकल्प को चुनता है. आइए, इन विकल्पों पर एक नजर डालते हैं.

गोल्ड ईएमआई स्कीम

गोल्ड में निवेश का यह सब से आसान तरीका है. आजकल हर ज्वैलरी ब्रैंड गोल्ड पर तरहतरह की स्कीमें ला रहा है. जैसे 12 महीनों में 11 किस्तें ग्राहक भरे और 12वीं किस्त ज्वैलरी ब्रैंड खुद भरेगा. यदि आप 1,000 की किस्त हर महीने भरें तो 12वें महीने एक निश्चित तिथि पर आप 12,000 की कोई भी गोल्ड ज्वैलरी ले सकती हैं. लेकिन अभिनव की मानें तो यह ज्यादा फायदे का सौदा नहीं है. वे कहते हैं, ‘‘इस तरह की स्कीम तब फायदेमंद होगी जब आप को अपना ज्वैलरी कलैक्शन बढ़ाना हो, क्योंकि इस स्कीम से आप को जमा की गई किस्तों के मूल्य की ज्वैलरी ही मिलेगी. यदि आप इसे पैसों में कन्वर्ट कराना चाहें तो भी नहीं करा सकतीं.’’

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