गरमी की छुट्टियों में मेरी मानिए, प्राकृतिक रहस्यों से घिरे पश्चिम बंगाल के सुंदरवन को जरा करीब से देख आइए. दुनिया का सब से बड़ा मैनग्रोव का जंगल आप को यहीं मिलेगा. कहते हैं यहां का घना जंगल रोमांचित कर देता है क्योंकि रौयल बंगाल टाइगर आप को कहीं भी और कभी भी दिख सकता है. यह रोमांच सुंदरवन यात्रा के दौरान पूरे समय तक बना रहता है.
सुंदरवन की अपनी यात्रा को 2 भागों में बांट लें. एक तरफ सुंदरवन बायोस्फियर रिजर्व का भगवतपुर लोथियान द्वीप, बोनी कैंप, कलश कैंप और दूसरी तरफ सुंदरवन टाइगर रिजर्व का सजनेखाली, सुधन्यखाली, दोबांकी से ले कर बुड़ीरडाबरी तक. सुंदरवन का प्रवेशद्वार कोलकाता से 40 किलोमीटर की दूरी पर कैनिंग है. यहां से किराए पर लौंच ले कर घूमा जा सकता है.
सुंदरवन का मुख्य आकर्षण रौयल बंगाल टाइगर तो है ही, लेकिन इस के अलावा चीतल, हिरण, विभिन्न प्रजातियों के सांप और खूबसूरत पक्षियों का मेला है यहां. सुंदरवन के द्वीपों के बीच से छोटीछोटी और संकरी नदियों की धार भी यहां के आकर्षण हैं. यहां के लोग छोटी नाव के जरिए मछली और केकड़ा पकड़ने के लिए जाते हैं.
संकरी नदियों के पार कहीं कहीं विस्तृत मैदान हैं, जहां चीतल, हिरण विचरण करते हुए दिख जाएंगे. लेकिन इंसानी कदमों की आहट पाते ही वे चौकड़ी भर कर दूर निकल जाते हैं. इन हिरणों में बाघ का आतंक भी कुछ कम नहीं है. वैसे सुंदरवन में ये हिरण ही बाघों की खुराक हैं. खुराक में कमी होने पर बाघ रिहायशी बस्ती पर हमला करते हैं. इसीलिए हिरणों की संख्या पर वन विभाग की नजर कुछ ज्यादा ही होती है. वैसे, प्राकृतिक रूप से अपने बचाव के लिए प्रकृति ने हिरणों को तेज गति दे रखी है.