हालात की मारी कौलगर्ल बनी कल्पना की असलियत ससुराल पहुंचते ही खुल गई. ससुराल वालों ने कदमकदम पर उस की राहों पर कांटे बिछा रखे थे. लेकिन कल्पना परिस्थितियों से कब हार मानने वाली थी.