किरण मजूमदार शा बायोकौन कंपनी की मैनेजिंग डायरेक्टर और जानी मानी हस्ती हैं जिन की कही बात दूर तक जाती है और शायद इसीलिए उन्होंने ट्विटर पर अपना अकाउंट बना लिया, जिसे 14 लाख लोग फौलो करते हैं. अपनी सही बात बहुतों तक पहुंचे, इसीलिए उन्होंने नरेंद्र मोदी की ट्रेन-18 जो दिल्ली से उन की संसदीय सीट वाराणसी के बीच चलनी शुरू हुई है और यह दावा किया जा रहा है कि 180 किलोमीटर की स्पीड पर चल रही है, पर एक सादा सा कमैंट कर दिया.

असल में पुलवामा की घटना के दिन ही नरेंद्र मोदी ने इस ट्रेन का उद्घाटन किया था पर यह अगले ही दिन लौटते हुए रास्ते में खराब हो गई. इस पर किरण मजूमदार शा ने पूरी साफगोई के साथ कह डाला कि यह सरकारी इंटैग्रल कोच फैक्टरी की कार्यकुशलता का नमूना है.

बस इतना कहना था कि उन पर सैकड़ों मोदी भक्त बरस पड़े. किसी ने कहा कि किरण शा कांग्रेस से राज्यसभा सीट चाहती हैं, किसी ने उन्हें विजय माल्या सा घोषित कर दिया, तो किसी ने उन्हें शेमलैस कहा, कुछ ने उन की कंपनी बायोकौन को घसीटना शुरू कर दिया, किसी ने उन्हें मानसिक बीमार घोषित कर दिया.

बेचारी किरण शा अपनी सफाई देतेदेते थकने लगीं और अंत में उन्होंने एक नए ट्वीट में माफी भी मांगी पर भगवाई ट्रोलों ने उन्हें फिर भी नहीं छोड़ा और उन के खेद पर और ज्यादा जोर से हमला जारी रखा. उन्हें अरबन नक्सल कहा गया और सलाह दी गई कि अपने काम से काम रखें.

असल में यह आलोचना हुई इसलिए कि यह ट्रेन नरेंद्र मोदी के नाम के साथ जुड़ी है और दूसरों को मांबहन की भद्दी गालियां देने वाले अपने आराध्य से जुड़ी किसी भी बात पर भड़क उठते हैं. वे जानते हैं कि सच को छिपाने का सब से अच्छा तरीका है कि सच बोलने वाले को डांटो, गालियां दो, उस का इतिहास खोलो.

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