सिलिकौन वैली में अपने आकर्षक कैरियर को बीच में छोड़ कर उपासना टाकू ने 2008 में भारत लौट अपने घर के ईकोसिस्टम में योगदान देने का फैसला लिया. 1 साल बाद उन्होंने ‘मोबिक्विक’ की सहस्थापना की.

कुछ कर्मचारियों से शुरुआत कर 300 लोगों की एक मजबूत टीम बनाने तक उपासना ने ‘मोबिक्विक’ में सभी चीजों को एकजुट करने में मुख्य जिम्मेदारी निभाई और अपनी टीम को भारत के सब से बड़े स्वतंत्र मोबाइल भुगतान नैटवर्क बनाने के लक्ष्य पर केंद्रित रखा.

उपासना को फोर्ब्स की ‘एशिया वूमन टु वाच इन 2016’ में शामिल किया गया है. उन्हें एसोचैम द्वारा ‘बिजनैस वूमन आफ द ईयर’ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.

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उपासना टाकू से हुई मुलाकात के कुछ अंश इस तरह हैं:

काम की प्रेरणा किस से मिली?

मुझे किसी ने नहीं बताया कि आप ऐसा करिए. मेरा मानना है कि किसी भी नई शुरुआत के लिए आप को आत्मविश्वास की जरूरत होती है. इस के लिए आप को दूसरों से मिल कर या उन की कहानियां सुन कर प्रेरणा तो मिल सकती है, लेकिन जो भी करना है वह आप को ही करना है.

महिलाओं को जीवन में आगे बढ़ने के दौरान किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

महिलाओं और पुरुषों के सामने एकसमान चुनौतियां आती हैं, लेकिन जैसेजैसे महिलाएं कामयाबी के रास्ते पर बढ़ती जाती हैं उन के लिए मुश्किलें भी बढ़ती चली जाती हैं. भारत जैसे देश में महिलाओं को अपने काम के साथ घर की देखरेख भी करनी होती है. ऐसे में घर और काम के बीच तालमेल बनाने से दबाव बढ़ता है. यही कारण है कि काम में अच्छी होने के बावजूद महिलाओं को कई बार समझौते करने पड़ते हैं.

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