किसी भी औफिस में आप जा कर देख सकते हैं कि जो महिलाएं अच्छी तरह ड्रैसअप होती हैं, उन का उत्साह और चार्म अलग ही नजर आता है. वे काफी कौंफिडैंट भी दिखती हैं. ऐसी महिलाएं बेबाकी से बात करती हैं, उन्हें झिझक नहीं होती.
वहीं उन महिलाओं को देखिए जो साधारण वेशभूषा में हों. ऐसी महिलाएं आप को किसी कोने में बैठ कर सिर नीचे किए जल्दीजल्दी अपना काम निबटाती नजर आएंगी. वे न तो ज्यादा दूसरों से घुलतीमिलती हैं, न ज्यादा बातें करती हैं. यहां तक कि लंच के वक्त अपना टिफिन भी अकेले कोने में बैठ कर खा लेती हैं. ऐसी महिलाएं भले अपने काम में तेज हों, मगर सब से कटीकटी सी रहती हैं और अपने चारों ओर एक नकारात्मक माहौल बना कर रखती हैं.
दरअसल, भारत में 30-35 साल की उम्र तक पहुंचतेपहुंचते महिलाएं अपनी वेशभूषा को ले कर लापरवाह सी हो जाती हैं जोकि गलत है. आमतौर पर 60 साल की महिला भी उत्साह से लबरेज, फैशन से भरपूर नजर आ सकती है. बस, होंठों पर लिपस्टिक, हाई हील, सुंदर पर्स, बालों में कलर और चेहरे पर मेकअप उन के रूटीन में शामिल होना चाहिए.
अगर आप कामकाजी महिला हैं तो काम के साथसाथ आप को अपने व्यक्तित्त्व के प्रति भी सचेत रहना चाहिए. औफिस सिर्फ काम निबटाने की जगह नहीं है. यहां आप अन्य लोगों के साथ दिन का 8 से 10 घंटा व्यतीत करती हैं. अगर आप भलीभांति तैयार हो कर औफिस आती हैं, तो न सिर्फ आप को तारीफ की नजरों से देखा जाएगा, बल्कि आप खुद अपनेआप में उत्साह महसूस करेंगी.
सिर्फ वर्किंग प्लेस नहीं है औफिस
कुछ लोग औफिस को बस काम निबटाने की जगह मानते हैं. उन्हें लगता है कि सिर्फ काम ही तो करना है. इसलिए कुछ भी पहन कर जाएं क्या फर्क पड़ता है. अगर आप भी यह सोच रखती हैं, तो यह गलत है. औफिस में रोजाना आप के 8-10 घंटे बीतते हैं, ऐसे में औफिस को बस काम निबटाने की जगह ही मान लेना समझदारी नहीं होगी. यहां पर आप की ड्रैस, स्टाइल, उठनेबैठने और बात करने का तरीका बेहद माने रखता है. थोड़ा सा सुंदर दिख कर, अनुशासन और तहजीब में रह कर औफिस का माहौल सुंदर बनाया जा सकता है.
खुद को दें थोड़ा समय
माना कि कामकाजी महिलाएं घर और औफिस की दोहरी जिम्मेदारी निभा रही हैं. सुबह उठ कर सब के लिए खानेपीने का प्रबंध, बच्चों व पति की तैयारियों में व्यस्तता, नौकरों को जरूरी निर्देश और उस के बाद खुद की तैयारी में समय कितनी तेजी से बीतता है पता ही नहीं चलता. बावजूद इस के आप को औफिस जाने से पहले अपनी तैयारी के लिए कम से कम 45 मिनट का समय खुद को देना चाहिए.
सुबह का समय बचे इस के लिए रात में ही सुबह औफिस पहनने वाले कपड़ों का चयन कर लें और उस से जुड़ी ज्वैलरी भी सिलैक्ट कर लें. इस से सुबह का समय यह सोचने में जाया नहीं होगा कि आज क्या पहनें?
नहाने के बाद बौडी पर मौइश्चराइजर या बौडी लोशन जरूर लगाएं. इस से जहां स्किन स्मूद होती है, वहीं खारिश की समस्या से भी आप बची रहेंगी और दिनभर आप की त्वचा पर चमक बरकरार रहेगी.
कुछ महिलाएं हफ्ते में 1-2 बार ही बालों में शैंपू करती हैं. यह गलत है. आप एक दिन छोड़ कर शैंपू करें, कंडीशनर लगाएं और जैल से बालों को अच्छी तरह सैट करें. रूखे और उड़ेउड़े बाल व्यक्तित्त्व में डलनैस पैदा करते हैं. रूखे बालों से चेहरे पर खारिश या छोटेछोटे दाने भी हो सकते हैं.
इस के बाद आप अपनी ड्रैस, मेकअप और फुटवियर पर ध्यान दें. लाइट मेकअप, लाइट ज्वैलरी और साथ में मैचिंग हैंडबैग और फुटवियर आप की पर्सनैलिटी में चार चांद लगा देंगे.
पर्सनैलिटी को निखारें
औफिस के लिए तैयार होने के बाद एक बार खुद को ऊपर से नीचे तक मिरर में देख लें. खुद से सवाल करें कि क्या औफिस में यह ड्रैस आप की पर्सनैलिटी को सही तरह से प्रजैंट कर रही है? तैयार होते समय एक बात बिलकुल न भूलें कि आप की ड्रैस आप की पर्सनैलिटी का हिस्सा है. आप जैसा पहनेंगी वैसी ही आप की इमेज बनेगी.
ड्रैस कोड फौलो करें
अगर औफिस में ड्रैस कोड लागू है, तो उसे 100 फीसदी फौलो करें. ड्रैस कोड होने के बाद कुछ भी पहन कर औफिस चले जाना आप की गलत इमेज बनाएगा. अच्छा होगा कि आप इस ड्रैस के कम से कम 4 जोड़े जरूर रखें ताकि हर दिन साफ और आयरन किए हुए कपड़े ही पहन सकें.
नहीं है नुमाइश की जगह
औफिस आप के कपड़ों या ज्वैलरी के नुमाइश की जगह नहीं है. औफिस में जो भी पहनें, वह सोबर हो. बाकी दूसरी ड्रैसेज को आप बाकी जगहों पर पहन सकती हैं. कपड़े आप की उम्र के अनुरूप होने चाहिए. यह नहीं कि आप 20-22 साल की हैं तो रोज साड़ी लपेट कर जा रही हैं और 40 साल की हैं तो स्कर्ट या मिडी में औफिस पहुंच जाएं. कपड़े आप की उम्र के मुताबिक होंगे तो आप की पर्सनैलिटी लोगों को आकर्षित करेगी और आप खुद भी कंफर्टेबल फील करेंगी.