‘‘त्वचा की ब्लीचिंग से न केवल महिलाओं का व्यक्तित्व निखरता है, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ता है,’’ यह कहना है एल्प्स ब्यूटी क्लीनिक चेन की फाउंडर डा. भारती तनेजा का. वे कहती हैं कि ब्लीचिंग करना भी एक कला है, जिस के लिए सब से पहले त्वचा के प्रकार को जानना आवश्यक है. सौंदर्य विशेषज्ञाएं त्वचा के प्रकार जान कर ही उस पर अलग अलग ब्लीच का प्रयोग करती हैं जैसे जहां सामान्य त्वचा पर हर्बल ब्लीच का प्रयोग किए जाने से बढि़या परिणाम मिलता है, वहीं रूखी, बेरौनक त्वचा के लिए हर्बल ब्लीच के बदले आक्सी ब्लीच का प्रयोग करना श्रेयस्कर होगा.
ब्लीचिंग की जरूरत...
ब्लीचिंग से फेयरनेस मिलने के अलावा त्वचा सनटैन से भी मुक्ति पाती है. हम सभी धूप में जाते हैं, साथ ही रोज प्रदूषण का सामना भी करते हैं. त्वचा पर धूल मिट्टी के जमने से त्वचा का रंग दबने लगता है, साथ ही मृत कोशिकाओं का जमाव भी होने लगता है. ऐसे में ब्लीच धूलमिट्टी की वजह से बंद त्वचा के छेद (रोमछिद्र) खोलने का काम करती है. इसी के साथ मृत कोशिकाओं को भी हटाती है. ज्यादातर सौंदर्य विशेषज्ञों और त्वचा विशेषज्ञों की यही सलाह है कि स्वास्थ्यवर्धक भोजन और नियमित एक्सरसाइज से भी त्वचा की रंगत निखरती है, परंतु त्वचा का सब से बड़ा दुश्मन सूरज त्वचा में उपस्थित मेलानिन पर जो प्रभाव डालता है उस के लिए जरूरी है कि समयसमय पर मेलानिन कम करने के उपाय कर के त्वचा की रंगत उजली बनाई जाए.
ब्लीच कैसे बदले रंग...
ब्लीच क्रीम में आमतौर पर 2 एलीमेंट होते हैं- एक क्रीम और दूसरा पाउडर एक्टीवेटर. क्रीम और एक्टीवेटर पाउडर को मिला कर जब त्वचा पर लगाने की तैयारी की जाती है तो क्रीम में उपस्थित हाइड्रोजन पैराक्साइड के टूटने से आक्सीजन अलग होती है. यह आक्सीजन त्वचा का रंग बनाने वाले मेलानिन पिगमेंट को आक्सीडाइज करती है. यह जानीमानी बात है कि त्वचा में जितना ज्यादा मेलानिन होगा रंग उतना ही ज्यादा गहरा होगा, जबकि मेलानिन की कम उपस्थिति रंग का साफ होना निश्चित करती है. ब्लीच का मुख्य ध्येय होता है त्वचा में उपस्थित मेलानिन पिगमेंट को कम करना.