भाजपा समर्थक मशहूर उपन्यासकार चेतन भगत के कई उपन्यासों पर कई सफल फिल्में बन चुकी हैं, पर इसके यह मायने नहीं होते कि उनके हर उपन्यास पर एक अच्छी फिल्म का निर्माण किया जा सकता है. इस बार चेतन भगत के उपन्यास ‘हाफ गर्ल फ्रेंड’ पर बनी इसी नाम की यह फिल्म इस बात को साबित करती है कि हर कहानी को आप दृश्य श्रव्य माध्यम में नहीं बदल सकते. मजेदार बात यह है कि अपने हर उपन्यास पर बनी सफल फिल्मों से निर्माताओं को कमाई करते देख इस बार इस फिल्म का सह निर्माण कर चेतन भगत अपना हाथ जला बैठे हैं. अब उनकी समझ में आ जाएगा कि हर चमकने वाली पीले रंग की वस्तु सोना नहीं होती.
फिल्म ‘‘हाफ गर्लफ्रेंड’’ यह साबित करती है कि हर किताब पर एक अच्छी फिल्म नहीं बनायी जा सकती. माना कि चेतन भगत के उपन्यास पर ही ‘काई पे चे’, ‘टू स्टेट्स’ व ‘थ्री ईडियट्स’ जैसी सफल फिल्में बनी हैं. पर निर्माण के क्षेत्र में उतरते हुए चेतन भगत यह कैसे भूल गए कि अतीत में भी उनके एक उपन्यास पर बनी फिल्म ‘हेलो’ का क्या हश्र हुआ था.
फिल्म ‘‘हाफ गर्लफ्रेंड’’ की शुरुआत होती है माधव झा (अर्जुन कपूर) से अनबन के बाद रिया सोमानी (श्रद्धा कपूर) का टूटे दिल के साथ पटना छोड़ने से. उसके बाद माधव अतीत में खो जाता है, जब वह पहली बार दिल्ली के सेंट स्टीफन कालेज में रिया सोमानी से मिला था.
बिहार के बक्सर जिले के डुमराव गांव के रहने वाले माधव झा अंग्रेजी की पढ़ाई कर अपने गांव को सुधारने के लिए पहले पटना और फिर दिल्ली के सेंट स्टीफन कालेज पढ़ने पहुंचते हैं. उन्हे बास्केटबाल खिलाड़ी होने के चलते ही कालेज में प्रवेश मिला था. दिल्ली में रिया से मुलाकात होने पर दोनों की दोस्ती खिलाड़ी होने के कारण हो जाती है. रिया भी फुटबाल खिलाड़ी है. वैसे रिया अति अमीर परिवार से है और बड़ी गाड़ी में कालेज आती है. रिया को पहली बारिश में भीगते देख माधव उसे अपना दिल दे बैठता है. यानी कि एक अमीर लड़की और गरीब लड़के के रोमांस की शुरुआत. पता चलता है कि रिया सोमानी अपने घर पर हर दिन अपने पिता द्वारा अपनी मां को पिटते हुए देखती रहती है. इसलिए उसे भोला भाला माधव अच्छा लगता है. पर वह साफ कर देती है कि वह उसकी प्रेमिका नहीं हाफ गर्ल फ्रेंड है. और गिटार बजाती है. उसका सपना न्यूयार्क के क्लब में जैज सिंगर के रूप में काम करना है. उधर माधव अंग्रेजी नही आती की हीनग्रंथि से उबरने का प्रयास कर रहा है. माधव का दोस्त शैलेष (विक्रांत मैसे) उसकी मदद करता रहता है.
रिया व माधव का रिश्ता आगे बढ़ता है, मगर माधव की बेवकूफी के चलते दोनों के रिश्तों में दरार आ जाती है. रिया कहीं दूर चली जाती है. माधव वापस अपने गांव आकर गांव के अपने पारिवारिक स्कूल को विस्तार देने के अलावा लड़कियों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने का काम शुरू करता है. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. एक बार फिर माधव और रिया की मुलाकात न्यूयार्क में होती है.
फिल्म ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ की कमजोर कड़ी इसकी कहानी व पटकथा है. कहानी को जब आप किसी मकसद के अंदर पिरोने की कोशिश करते हैं, तो सब कुछ बिखर जाता है. कहानीकार व पटकथा लेखक ने इस फिल्म में अंग्रेजी व हिंदी भाषा के बीच के भेदभाव, महिला सशक्तिकरण, महिलाओं के साथ हिंसा, सेक्सुल अब्यूज, लड़कियों की शिक्षा सहित कई मुद्दों को फिल्म में पिरोन का प्रयास करते करते पूरी कहानी व फिल्म को तहस नहस कर दिया.
यह फिल्म न मुद्दों पर आधारित फिल्म रही और न ही प्रेम कहानी वाली फिल्म रही. फिल्म में रोमांस है ही नहीं. फिल्म के सभी किरदार बिखरे हुए नजर आते हैं. आखिर यह किरदार कहना क्या चाहते हैं, इसे फिल्मकार ठीक से बता ही नहीं पाता. इंटरवल से पहले की फिल्म और इंटरवल के बाद की फिल्म के बीच सामंजस्य ही नहीं बैठ पाता है. फिल्म का क्लायमेक्स बहुत घटिया है. इस फिल्म की मजेदार बात है कि दर्शक को लगता है कि फिल्म खत्म हो गई, पर पता चलता है कि अभी तक खत्म ही नहीं हुई. यह स्थिति भी पटकथा लेखक व निर्देशक की कमजोरी की ओर इशारा करती है. दर्शक सोचने पर मजबूर हो जाता है कि क्या कई सफल फिल्म दे चुके निर्देशक मोहित सूरी ही इस फिल्म के निर्देशक हैं?
फिल्म में इमोशंस का घोर अभाव है, जिसके चलते दर्शक किरदारों के साथ जुड़ ही नहीं पाता. निर्देशकीय कमजोरी के चलते जब तक दर्शक रिया व माधव की प्रेम कहानी के साथ खुद को जोड़ पाता, तभी दोनों के बीच समस्याएं आती हैं और दोनों अलग हो जाते हैं.
जहां तक अभिनय का सवाल है तो इस फिल्म में अर्जुन कपूर और श्रद्धा कपूर की केमिस्ट्री नहीं जमी. दोनों का अभिनय भी औसत दर्जे का ही रहा है. विक्रांत मैसे भी ठीक ठाक रहे. फिल्म का गीत संगीत भी प्रभावित नहीं करता. फिल्म के संवाद बचकाने हैं.
दो घंटे 15 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘हाफ गर्लफ्रेंड’’ का निर्माण शोभा कपूर, एकता कपूर, मोहित सूरी व चेतन भगत तथा निर्देशन मोहित सूरी ने किया है. फिल्म की संवाद लेखक इशिता मोएत्रा, पटकथा लेखक तुषार हिरानंदानी, संगीतकार मिठुन, तनिष्क बागची, अमि मिश्रा, राहुल मिश्रा, कैमरामैन विष्णु राव व कलाकार हैं – अर्जुन कपूर, श्रद्धा कपूर, विकारंत मैसे, सीमा विश्वास व अन्य.