टीवी अभिनेत्री डौली सोही सिंगल मदर हैं. वे 7 सालों से पति से अलग अपने माता-पिता के साथ रह रही हैं. शुरू-शुरू में तो उन्हें लगा था कि अब वे कैसे नाइट शिफ्ट में काम कर पाएंगी, लेकिन परिवार के सहयोग से नाइट शिफ्ट में काम करना मुश्किल नहीं रहा. उन की बेटी अमिलिया धनोवा अभी 8 साल की है. जब बेटी छोटी थी तो कई बार नाइट शिफ्ट करना मुश्किल हो जाता था. इस के लिए डौली को पहले से सारी तैयारी करनी पड़ती थी ताकि सुबह बेटी की देखभाल करने वाले को मुश्किल न हो.
डौली ही नहीं, कई ऐसी मांएं हैं जो या तो डिवोर्सी हैं या फिर सैपरेटेड और उन्हें नाइट शिफ्ट में काम के लिए जाना पड़ता है. ऐसे में बच्चे को अकेले रात भर छोड़ने की कई गुना जिम्मेदारी मां पर आ जाती है. काम के साथ-साथ उसे बच्चे की भी देखभाल करनी पड़ती है. ऐसे में अगर सपोर्ट सिस्टम सही है, तो नाइट शिफ्ट में काम करना मुश्किल नहीं. अगर ऐसा नहीं है तो मां को अच्छी प्लैनिंग करनी पड़ती है ताकि वह आराम से काम कर सके.
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अधिकतर देखा गया है कि नाइट शिफ्ट करने वाली मां के बच्चे मनमानी अधिक करते हैं, क्योंकि मां अपना क्वालिटी टाइम उन के साथ बिता नहीं पाती. ऐसे में सही प्लैनिंग ही बच्चे की सही परवरिश के लिए जरूरी है.
इस बारे में मुंबई की काउंसलर राशिदा कपाडि़या बताती हैं कि सिंगल मदर के लिए नाइट शिफ्ट में काम करना मुश्किल नहीं है. अगर बच्चा छोटा है, तो उसे अलग प्लैनिंग करनी पड़ती है और अगर बड़ा है, तो उसे अलग तरीके से संभालना पड़ता है. 4 साल की उम्र के बाद से मां बच्चे को कुछ-कुछ बातें समझा सकती है जैसेकि उसे नाइट शिफ्ट क्यों करनी पड़ रही है, बच्चे की क्या जिम्मेदारियां हैं बगैरा.