आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कुकिंग को स्ट्रैस बस्टर माना जाता है, क्योंकि जब आप खाना बनाते हैं तो आप उसे बनाने और उस का स्वाद बढ़ाने के लिए तरह तरह की सामग्री का प्रयोग करते हैं. सब्जियों को काटने से ले कर बनाने तक की पूरी प्रक्रिया में आप का ध्यान बंट जाता है, जिस से आप का स्ट्रैस लैवल कम हो जाता है.

एक सर्वे में यह पाया गया कि बेकिंग से महिलाओं और पुरुषों में करीब 40% स्ट्रैस कम हो जाता है. इसलिए खाना बनाने को बोझ नहीं, बल्कि अपनी मानसिक और शारीरिक हैल्थ के लिए उपयोगी मानने की जरूरत है.

इस बारे में हाइपर सिटी में आयोजित ‘कुकिंग विद ऐक्सपर्ट’ में आए सैलिब्रिटी शैफ रणवीर बरार का कहना है, ‘‘कुकिंग बैस्ट थेरैपी है, जो किसी भी दिमागी परेशानी को कम कर सकती है. बड़ेबड़े शहरों में कुकिंग से स्ट्रैस लैवल को कम करने की दिशा में वर्कशौप चलाई जा रही हैं. पूरा विश्व इसे थेरैपी मानता है. 5 साल पहले विदेशों में जो स्ट्रैस लैवल था उसे बेकिंग और कुकिंग से 80% तक कम करने में मदद मिली है. मेरी लाइफ में भी कुकिंग की वजह से बहुत परिवर्तन आया है. मैं 16 साल की उम्र में कोयला ढोता था और मसाले कूटता था. आज 23 वर्षों में मैं यहां तक पहुंच पाया हूं. मेरे हिसाब में लड़के हों या लड़कियां सभी के लिए कुकिंग आना आवश्यक है.’’

कुकिंग के निम्न फायदे हैं.

– खाना एकदूसरे को जोड़ता है, फिर चाहे वह फ्रैंड हो या परिवार वाले, अच्छे भोजन की सब की चाह रहती है.

– कुकिंग करते समय तरहतरह के व्यंजनों को काटना पड़ता है, जिस में सब्जियों के कलर और मसालों के फ्लेवर काटने वाले की नसों को शांति प्रदान करते हैं, जिस से तनाव कम होता है.

– सब्जियों को काटना, मसलना, क्रश करना, स्लाइस करना, छीलना आदि सभी काम ध्यान को प्रभावी तरीके से किसी भी समस्या से दूर हटाते हैं, जिस से आप तनावमुक्त हो जाते हैं.

– कुकिंग में क्रिएटिविटी खूब होती है. जितना आप उसे सही तरीके से पेश करेंगे, उतने ही आप नएनए तरीके सोचेंगे. इस से आप गुड फील करेंगे.

– अगर आप अच्छा खाना बनाती हैं, तो अधिकतर फ्रैंड या परिवार वाले आप के इस हुनर की तारीफ करते नहीं थकते. इस से आप का मनोबल ऊंचा होता है.

– जब आप खाना किसी दोस्त या परिवार वालों की पसंद का बनाती हैं और वे उसे खुश हो कर खाते हैं और आप के साथ खुशी को शेयर भी करते हैं, तो इस से आप पर स्ट्रैस की जगह फूड हावी हो जाता है.

– खाना बनाना एक कला है, जो हर व्यक्ति में अलगअलग होती है और शांति देती है.

– खाना बनाना आने पर आप अपना मनपसंद खाना खा सकते हैं, जिस से आप को सुकून मिलेगा और तनाव दूर होगा.

यह सही है कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कामकाजी महिलाओं के लिए खाना बनाना आसान नहीं होता. ऐसे में आप अगर स्मार्ट कुकिंग करना चाहती हैं तो यह तैयारी पहले से कर लें.

– कुकिंग में प्रयोग होने वाली पूरी सामग्री का प्रबंध आप नहीं कर सकतीं तो ऐसे में स्मार्ट कुकिंग का सब से अच्छा तरीका यह है कि बाजार में मिलने वाले तरहतरह के मसालों का प्रयोग खाने में करें. इस के लिए पौष्टिकता, टेस्ट और सुगंध बनाने वाले मसालों का ध्यानपूर्वक चयन कर खरीद कर घर में रखें.

– सब्जियों को रात में काट कर, कच्चे मसाले की सामग्री को पीस कर, भिगो कर और भाप दे कर पहले से फ्रिज में रख लें.

– अगर दाल बनानी है तो उसे पहले से भिगो कर रखें ताकि जल्दी पक जाए. इस से उस के पोषक तत्त्व भी कायम रहते हैं और गल भी जल्दी जाती है.

कामकाजी महिलाओं के लिए रणवीर बरार कहते हैं, ‘‘कामकाजी महिलाएं अपना ध्यान न रख कर पूरे परिवार का खयाल रखती हैं. इस से उन का ‘मूड’ और ‘मौरल’ दोनों ही नीचे चले जाते हैं. ऐसे में उन्हें अपना खयाल पहले रखना चाहिए ताकि उन्हें काम के दौरान किसी प्रकार का तनाव न रहे.’’

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