‘‘एक हीरा चाहे आप की अंगूठी में ही क्यों न लगा हो, आप के संबंधों और उसके गहरेपन की हमेशा  याद दिलाता रहता है...’’

सचिन जैन, (मैनेजिंग डायरैक्टर, फौरऐवरमार्क)

र‘हीरा है सदा के लिए’ टैग लाइन के साथ पिछले कुछ सालों से ‘फौरऐवरमार्क’के मैनेजिंग डायरैक्टर सचिन जैन सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं. उन्होंने अपनी टीम के साथ मिल कर कंपनी को नई दिशा दी है, जहां वे रिस्पौंसिबिलिटी, सिलैक्टिविटी और ब्यूटी इन 3 वादों के साथ काम करते हैं. उन के हिसाब से हीरा सब से पुराना लग्जरी आइटम है,जिस की अहमियत आज भी वैसी ही है,क्योंकि यह 2 लोगों के बीच प्यार को बनाए रखने का जरिया है. कैसे वे आगे बढ़ रहे हैं, आइए जानते हैं उन्हीं से:

कंपनी का मैनेजिंग डायरैक्टर बनने के बाद क्या-क्या बदलाव आप ने किए हैं?

मैं ने ज्यादा बदलाव नहीं किया,क्योंकि यहां काम करने वाले कर्मचारी कंपनी को अपना समझ कर काम करते हैं. मुझे खुशी इस बात की है कि मुझे एक अच्छी टीम काम करने के लिए मिली है. सब की एप्रोच एक तरह की है. इस से कंपनी को आगे ले जाने में आसानी हो रही है. यह स्टार्टअप कंपनी 130 साल पुरानी है. इस में ‘फौरऐवरमार्क’ एक नया ब्रैंड है.

डायमंड व्यवसाय के क्षेत्र में क्या-क्या चुनौतियां हैं?

यहां बहुत सारी चुनौतियां होती हैं. इस में फायदा बस यह है कि हर परिवार का एक ज्वैलर हमारे देश में होता है. हर त्योहार या अवसर पर गहने अवश्य खरीदे जाते हैं, क्योंकि यह हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है जबकि चीन में ज्वैलरी लग्जरी के लिए खरीदी जाती है. नुकसान यह है कि डायमंड को हम सोने की तरह नहीं खरीदते,क्योंकि यह महंगा होता है. असल में हर हीरा यूनिक होता है, लेकिन इस में पारदर्शिता की कमी ही इस क्षेत्र की असल चुनौती है, क्योंकि जब लोग हीरा खरीदने जाते हैं तो कई बार धोखे के शिकार हो जाते हैं. पैसे की सही वैल्यू नहीं मिलती. इसलिए इस को फौरऐवरमार्क गुणवत्ता देने की कोशिश कर रही है.

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