सुबह-सुबह अखबार के पन्ने पलटते हुए लीना की नजर स्थानीय समाचार वाले पन्ने पर छपी एक खबर पर पड़ी :

‘सुश्री हरिनाक्षी नारायण ने आज जिला कलक्टर व चेयरमैन, शहर विकास प्राधिकार समिति का पदभार ग्रहण किया.’

आगे पढ़ने की जरूरत नहीं थी क्योंकि लीना अपने कालिज और कक्षा की सहपाठी रह चुकी हरिनाक्षी के बारे में सबकुछ जानती थी.

यह अलग बात है कि दोनों की दोस्ती बहुत गहरी कभी नहीं रही थी. बस, एकदूसरे को वे पहचानती भर थीं और कभीकभी वे आपस में बातें कर लिया करती थीं.

मध्यवर्गीय दलित परिवार की हरिनाक्षी शुरू से ही पढ़ाई में काफी होशियार थी. उस के पिताजी डाकखाने में डाकिया के पद पर कार्यरत थे. मां एक साधारण गृहिणी थीं. एक बड़ा भाई बैंक में क्लर्क था. पिता और भाई दोनों की तमन्ना थी कि हरिनाक्षी अपने लक्ष्य को प्राप्त करे. अपनी महत्त्वाकांक्षा को प्राप्त करने के लिए वह जो भी सार्थक कदम उठाएगी, उस में वह पूरा सहयोग करेंगे. इसलिए जब भी वे दोनों बाजार में प्रतियोगिता संबंधी अच्छी पुस्तक या फिर कोई पत्रिका देखते, तुरंत खरीद लेते थे. यही वजह थी कि हरिनाक्षी का कमरा अच्छेखासे पुस्तकालय में बदल चुका था.

हरिनाक्षी भी अपने भाई और पिता को निराश नहीं करना चाहती थी. वह जीजान लगा कर अपनी पढ़ाई कर रही थी. कालिज में भी फुर्सत मिलते ही अपनी तैयारी में जुट जाती थी. लिहाजा, वह पूरे कालिज में ‘पढ़ाकू’ के नाम से मशहूर हो गई थी. उस की सहेलियां कभीकभी उस से चिढ़ जाती थीं क्योंकि हरिनाक्षी अकसर कालिज की किताबों के साथ प्रतियोगी परीक्षा संबंधी किताबें भी ले आती थी और अवकाश के क्षणों में पढ़ने बैठ जाया करती.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
 
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
  • 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...