एक महिला पत्रिका में उपसंपादक अनुराधा ने अपनी 10वीं एनिवर्सरी के मौके पर शादी के समय पूरे न हुए ख्वाबों को अब पूरा करने और जीभर एंजौय करने की ठानी थी. इस के लिए उस ने महीनों से तैयारी की थी. एकएक पैसा जोड़ा था. अपनी तमाम सहेलियों से इस संबंध में खुशीखुशी चर्चा की थी. जिस हिल स्टेशन उन्हें जाना था, उस ने वहां के इतिहास भूगोल के बारे में खूब ढूंढ़ ढूंढ़ कर पढ़ा था.

लेकिन ऐन मौके पर समय फिर दगा दे गया. पता चला कि उत्तरपूर्व में कानून और व्यवस्था की हालत खराब होने के कारण उसे जहां जाना था वहां कर्फ्यू लगा दिया गया है. इस कारण वहां जाने वाली सभी फ्लाइटें कैंसिल कर दी गई हैं.

अनुराधा, उस के पति और उन के 2 छोटेछोटे बच्चे महीनों से एकएक दिन गिनगिन कर गुजार रहे थे और हर शाम उन्होंने एक बड़ा वक्त उन योजनाओं को बनाने में खर्च किया था कि वे कैसेकैसे एंजौय करेंगे.

आर्थिक नुकसान से बचें

ऐन मौके पर बिगड़ी कानून और व्यवस्था की स्थिति ने सब गुड़गोबर कर दिया. लेकिन यह कोई अनहोनी घटना नहीं थी. उत्तरपूर्व के जो राजनीतिक हालात हैं उन के कारण वहां ऐसा अकसर हो जाता है. यह अकेले अनुराधा के साथ घटी घटना नहीं थी बल्कि और भी तमाम लोगों के साथ भी पहले ऐसा हो चुका था.

सवाल है ऐसी स्थिति में जब ऐन मौके पर आप के तमाम सपनों पर पानी फिर जाए, आप का सबकुछ कियाधरा बराबर हो जाए तो क्या करें? क्या इसे नियति मान कर चुपचाप बैठ जाएं और जो आर्थिक चपत लग चुकी हो उसे बुरे सपने की तरह भूल जाएं? या फिर घूमने न जा सकने पर कम से कम अपने आर्थिक नुकसान को तो बचाएं? आप पूछेंगे यह कैसे संभव है?

हम कहेंगे ये सब संभव है बशर्ते हम कहीं घूमने जाने का कार्यक्रम बनाते समय इस आशंका को भी ध्यान में रखें कि ऐन मौके पर जाना कैंसिल भी हो सकता है.

जी हां, आप बिलकुल सही सुन रहे हैं. किसी प्राकृतिक आपदा को रोकना, ऐन मौके पर कानून और व्यवस्था की हालत बिगड़ जाना या ऐसी ही किसी परिस्थिति पर हमारा कोई वश नहीं होता. ऐसी तमाम स्थितियों पर हम असहाय हो जाते हैं. लेकिन इस स्थिति से बचना भले ही न संभव हो पर आप अपनी यात्रा का बीमा करवा सकते हैं ताकि आप की गाढ़ी कमाई बरबाद न हो.

छुट्टियों का आनंद मनाते हुए आप के साथ कुछ अनहोनी न हो, लेकिन यदि ऐसा हो ही जाए तो इस की वजह से आप के पीछे बचे आप के परिवार के लोग एक झटके में ही अनाथ जैसा न महसूस करें.

रिस्क कवर कराएं

खराब मौसम या लचर कानून व्यवस्था की स्थिति के चलते अगर आप की फ्लाइट कैंसिल हो जाती है या आप का पासपोर्ट गुम हो जाता है तो आप को दरदर की ठोकरें न खानी पड़ें. ठीक है कि एक जमाना था जब छुट्टियों का बीमा संभव नहीं था. लेकिन अब यह कोई अजनबी शब्द नहीं है.

यूरोप और अमेरिका में तो पिछले 70 के दशक से ही यात्रा का बीमा होता रहा है. हमारे यहां भी पिछले कई सालों से ट्रैवल इंश्योरैंस हो रहा है. मुंबई, गोआ, दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद तमाम शहरों में हौलिडे इंश्योरैंस अब काफी बड़ी संख्या में होने लगे हैं.

जब तक देश में बीमा सिर्फ सरकारी एजेंसियों के हाथ में था तब तक बहुत सारी स्थितियों, चीजों और अवस्थाओं का बीमा संभव नहीं था. लेकिन अब बीमा क्षेत्र सिर्फ सरकारी एकाधिकार में नहीं रहा. आज की तारीख में बीमा के क्षेत्र में निजी कंपनियों का खासा दखल होचुका है. यही वजह है कि नई से नई परिघटनाएं, चीजें और अवस्थाएं बीमा के दायरे में आ रही हैं.

हौलिडे इंश्योरैंस यानी ट्रैवल इंश्योरैंस बीमा के दायरे में आने वाली नई चीज है. हालांकि अभी हमारे यहां यात्रा का बीमा कराए जाने का इतना ज्यादा चलन नहीं बढ़ा कि आप को अपने इर्दगिर्द चारों तरफ ऐसे लोग नजर आएं. लेकिन हां, अगर आप कोशिश करें तो ऐसे लोगों से आप जरूर मिल सकते हैं क्योंकि जैसेजैसे हिंदुस्तानियों की आय बढ़ रही है, हौलिडे इंश्योरैंस पर्यटन जीवनशैली का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बनता जा रहा है.

भरपूर लुत्फ उठाएं

आज की तारीख में यात्रा का मतलब महज किसी मशहूर जगह जा कर किसी भी तरह, कितनी भी मुसीबतों में रहते हुए उस जगह को देख आना भर नहीं है और न ही समुद्र के किनारे मौजमस्ती या किसी पहाड़ी रिजौर्ट की सैर करना भर रह गया है. आज पर्यटन में बंगी जंपिंग, पैरासेलिंग, पैराग्लाइडिंग, डीप सी वौकिंग, ट्रैकिंग जैसे तमाम एडवैंचरस स्पोर्ट्स भी शामिल हो चुके हैं.

लोग अपनी छुट्टियों का भरपूर लुत्फ उठाने के लिए जब पर्यटन के लिए निकलते हैं तो इन तमाम चीजों को भी अपने कार्यक्रमों में शामिल करते हैं. पिछले साल चेन्नई स्थित एक निजी साधारण बीमा कंपनी ने ऐसे तमाम एडवैंचरस स्पोर्ट्स के लिए इंश्योरैंस की सुविधा उपलब्ध कराई ताकि आप अपने पैसों का भरपूर लुत्फ ले सकें और अगर लुत्फ नहीं ले पाए तो आप का पैसा यों बरबाद न हो.

कहते हैं पुराने जमाने में जब लोग यात्रा पर निकलते थे तो अपने आसपड़ोस वालों से, रिश्तेदारों से, घरपरिवार के लोगों से मिल कर जाया करते थे क्योंकि कोई निश्चित नहीं होता था कि वे लोग सकुशल वापस लौट पाएंगे.

लेकिन अब स्थिति बदल गई है, यात्राएं छोटी हो गई हैं, कम खतरनाक रह गई हैं. हर जगह मैडिकल की सुविधा उपलब्ध है. इंटरनैट, मोबाइल और टैलीफोन आदि के चलते आदमी हर समय अपने घरपरिवार से जुड़ा भी रहता है. लेकिन संकट तो संकट है. अभी भी ऐसा नहीं है कि आप घर से खुशियों का लुत्फ उठाने के लिए पर्यटन को जाएं और गारंटी से घर सकुशल वापस लौट ही आएं.

माना कि कई तरह की समस्याओं पर काबू पा लिया गया है लेकिन दुस्साहसिक खेलों में हिस्सा लेतेसमय कब कोई जिंदगी से चूक जाए, भला इस की गारंटी कौन ले सकता है. इसलिए छुट्टियों में घर से निकलते समय रिस्क कवर करा लेना अक्लमंदी का ही काम है.

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