भारतीय व्यंजनों में तड़के का ज्यादा इस्तेमाल होता है. इस के अलावा फ्राई करना, ग्रिल करना, खाने में मसालों का प्रयोग भी होता रहता है. ऐसी स्थिति में एक सही चिमनी ही रसोई से धुआं और गंध आसानी से निकाल सकती है.

आजकल बाजार में कई तरह की चिमनियां बिकती हैं, जिन में से सही चिमनी का चयन करना मुश्किल होता है. इस बारे में मुंबई की ‘मेग्लियो’ शॉप के चिमनी डीलर लक्ष्मण पुरोहित, जो एक दशक से भी अधिक समय से चिमनी बेच रहे हैं, उनका कहना है कि चिमनी की बनावट में पहले से काफी सुधार आया है. इस के 2 विकल्प ग्राहकों को ज्यादा आकर्षित करते हैं. इन विकल्पों की खूबियां इस प्रकार हैं.

- पहले विकल्प में धुआं बाहर फेंकने के लिए पाइप का प्रयोग किया जाता है.

- दूसरे में चिमनी को डक्ट से जोड़ने की जरूरत नहीं होती. इस के अंदर लगा कार्बन फिल्टर धुआं, तेल और गंध सोख लेता है और शुद्ध हवा को वापस रसोईघर में छोड़ता है. इस में समस्या यह आती है कि कार्बन में तेल जल्दी चिपक जाता है और इसे जल्दी-जल्दी साफ करना पड़ता है.

दोनों तरह की चिमनियां प्रयोग में लाई जा सकती हैं, लेकिन डक्ट वाली चिमनी ज्यादा अच्छी होती है. इस में भी अगर डक्ट की पाइप ज्यादा मुड़ी या काफी लंबी हो, तो चिमनी से हवा बाहर निकलने में समय लगता है. डक्ट के लिए जगह की जरूरत होती है, इसलिए अगर आप के किचन में जगह है, तो डक्ट वाली चिमनी लगाएं. जगह की कमी हो, तो कार्बन फिल्टर वाली चिमनी सही रहेगी.

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