बौलीवुड में मौडलिंग से एक्टिंग के करियर में शुरूआत करने वाली कटरीना कैफ इन दिनों बौलीवुड के दबंग खान यानी सलमान खान के साथ भारत में नजर आने वाली हैं. जिसे लेकर वह भारत फिल्म के प्रमोशन में जुटी हुई है. एक्ट्रेस कटरीना ने को-स्टार सलमान के साथ अपनी इस फिल्म से जुड़े कुछ किस्सों के बारे में एक इंटरव्यू के दौरान कई खुलासे किए.  पेश है उनसे हुए खास इंटरव्यू के कुछ अंश.

इस फिल्म में प्रियंका चोपड़ा के मना करने पर आपने स्वीकार किया, इसे आपने कैसे लिया?

मैंने फिल्म ‘टाइगर जिन्दा है’ में सलमान के साथ काम किया था. इसके तुरंत बाद फिर साथ करने में कुछ नयापन नहीं था. इसलिए मुझे नहीं लिया गया था. प्रियंका ने अपने किसी पर्सनल काम के लिए फिल्म को छोड़ा और मैं इसमें आ गयी. ये फिल्म मेरे लिए डेस्टिनी थी, इसलिए मैं इसे कर पायी.

सलमान के साथ आपने कई फिल्में की है, उनकी कौन सी खूबी को आप सराहती है?

सलमान किसी भी बात से डरते नहीं है, उसे नकारत्मकता से कोई डर नहीं लगता. इसे मैंने भी सीखा है. पहले मैं किसी भी कंट्रोवर्सी से डरती थी, पर अब डर नहीं लगता.

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किसी भी फिल्म में सफलता पाने का मंत्र क्या होता है?

फिल्म में आप कितना भी अच्छा अभिनय कर लें, अगर ये अच्छी तरह से पेपर पर नहीं लिखी हो, तो कोई भी इसमें कुछ भी मिरेकल नहीं कर सकता. अगर मटेरियल ठीक हो, तो फिल्म अच्छा काम करेगी, क्योंकि आप इसमें पूरी तरह से ढल जाते है और दर्शक भी उससे अपने आप को जोड़ सकता है. मुझे भी इस फिल्म में ऐसा ही करने का मौका मिला है.

काम करते हुए आप में कितना ग्रोथ हुआ है? आपकी स्ट्रेंथ क्या है?

मैंने जितना भी काम किया है, उसमें कुछ न कुछ सीखा है. जीवन का अनुभव मुझे हिंदी सिनेमा जगत से मिला है. आज लोग मेरे काम की तारीफें करते है, मुझे फिल्मों में देखना चाहते है. इससे मुझे अच्छी-अच्छी फिल्में करने का मौका भी मिल रहा है.

मेरी शक्ति मेरी हर नयी चीज को सीखने का प्रयास है. मैं कभी ये नहीं सोचती कि मैं जो कर रही हूं वही सही है और वैसा मैंने हमेशा फौलो किया है. हर नयी परिस्थिति में मैं अपने आपको सहज रखा है, जिससे मुझे बहुत कुछ सीखने का मौका मिला.

आपको सबसे अधिक क्या प्रेरित करता है, दर्शकों का प्यार, बौक्स औफिस की सफलता या अवार्ड्स?

इसमें मैं बौक्स औफिस को ही कहना चाहता हूं. दर्शकों का प्यार ही बौक्स औफिस की सफलता है. रिव्यूस और अवार्ड्स मेरे लिए बोनस होता है.

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16 साल की इस जर्नी को आप कैसे देखती है?  क्या कुछ ख़ास मलाल रह गया है?

मेरी जर्नी फिल्मों के साथ-साथ बदली है और अब तक चलती आ रही है. अब मैं अलग-अलग भूमिका के अलावा रिस्क लेना भी पसंद कर रही हूं. पहले मैंने लार्जर देन लाइफ और ग्लैमर वाली फिल्में करना पसंद करती किया करती थी और अब मुझे अच्छी फिल्में, अच्छे किरदार करने की इच्छा होती है. 26 साल की उम्र में जब मैंने ‘शीला की जवानी..’ जैसे गाने, धूम 3 जैसी फिल्में की थी. भले ही वह निर्णय सही थी या गलत, इस पर मैं विचार नहीं करती, पर मुझे तब वही अच्छा लगा था. इन सबमें मैं यही सोचती हूं कि मुझे सही मंच हमेशा मिला, जिसमें निर्माता, निर्देशक और एक्टर सभी ने मेरा साथ दिया और मैं आगे बढ़ती गयी.

मैं हर तरह की फिल्मों में काम करने की इच्छा रखती हूं. मुझे स्पोर्ट्स पर्सन की बायोपिक से लेकर किसी भी अच्छी स्क्रिप्ट वाली फिल्म, जिसमें चुनौती हो, मैंने कभी उस चरित्र के बारें में सुनी न हो आदि सब मुझे पसंद है. पीटी उषा की बायोपिक के बारें में कई बातचीत हुई थी, पर मैंने कुछ साइन नहीं किया है.

क्या वेब सीरीज में भी आप काम करने की इच्छा रखती है?

मेरे लिए मंच कोई मायने नहीं रखती, क्योंकि वेब सीरीज अच्छा काम कर रही है. कई कहानियां ऐसी होती है, जिसकी फिल्में नहीं बन पाती, उसे वेब सीरीज पर घर पर आराम से देखना ही अच्छा लगता है. मुझे अगर कोई अच्छी कहानी मिले, तो करने में कोई हर्ज नहीं.

क्या आप कौस्मेटिक लाइन में कुछ कर रही है?

ब्यूटी लाइन में मैं कुछ अपना कुछ कर रही हूं, जिसपर काम चल रहा है. इसके अलावा मैं अच्छी स्क्रिप्ट मिलने पर उसका निर्माण भी कर सकती हूं.

क्या हौलीवुड फिल्मों में जाने की इच्छा रखती है?

मैंने हिंदी के अलावा मलयालम और तेलगू फिल्मों में भी काम किया है. ऐसे में मुझे अंग्रेजी में फिल्में करने को मिले, तो मुझे ख़ुशी होगी.

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आपकी मां सोशल वर्क करती है, आप उनके साथ कितना सहयोग कर पाती है?

मेरी मां मदुरै में सोशल वर्क करती है, वहां उसकी अपनी संस्था माउंट व्यू स्कूल में आस-पास की लड़कियों को अंग्रेजी सिखाती है. मैं समय-समय पर वहां जाती हूं और उनके काम में हाथ बटाती हूं. मैं चाहती हूं कि अधिक से अधिक लड़कियों को शिक्षा मिले, ताकि वे आत्मनिर्भर बनें, लेकिन इसमें लड़कियों से अधिक उनके माता-पिता को समझाना पड़ता है, क्योंकि वे पुराने विचार के है और शिक्षित होने के लाभ को वे नहीं समझ पाते. मैं अच्छे काम कर रहे एनजीओ के साथ जुड़कर काम करना चाहती हूं. चैरिटी अच्छी तब होती है, जब आप उसे अंदर से फील करते हो.

Edited by Rosy

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