‘खिलाड़ियों के खिलाड़ी’ नाम से चर्चित अभिनेता अक्षय कुमार को ‘अक्की’ भी कहा जाता है. वे हमेशा एक्शन हीरो के नाम से जाने जाते हैं, क्योंकि वे मार्शल आर्ट और तायकांडो में ब्लैक बेल्ट धारक हैं. इतना ही नहीं वे हर एक्शन को खुद करना पसंद करते हैं. उन्होंने ‘सौगंध’ फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की थी. लेकिन उन्हें सफलता खिलाड़ी की सीरीज बनाकर मिली. वे अपने अनुशासित स्वभाव और दिनचर्या के लिए जाने जाते हैं. इन दिनों वे एक अलग विषय शौचालय पर आधारित ‘टायलेट : एक प्रेम कथा’ के प्रमोशन पर हैं, पेश है कुछ अंश.

रियल जिंदगी में साफ सफाई पर कितना ध्यान देते हैं और बच्चों को किस प्रकार की सीख देते हैं? शौचालय का हमारी जिंदगी में होना क्यों जरुरी है?

मेरी जिंदगी में मैंने माता-पिता से ही साफ-सफाई सीखा है, क्योंकि बेसिक तो बच्चे माता-पिता को देखकर ही सीख लेते हैं. मेरे बच्चे भी वैसे ही सीखे हैं. बाकी शिष्टाचार उन्हें समय-समय पर बताना पड़ता है. फिल्म भी उसी सोच पर बनी है, जिसमें आपके घर में शौचालय होना जरुरी है. हमारे देश में करीब 54 प्रतिशत लोगों के पास शौचालय नहीं है. ये सबसे अधिक गांव की औरतों पर असर करती है. उन्हें सुबह-सुबह कई किलोमीटर की दूरी तय कर शौचालय के लिए जाना पड़ता है. दिन में उन्हें अपनी शौच को रोकना पड़ता है और शाम तक का इंतजार करना पड़ता है.

ये उनके स्वास्थ्य के लिए भी खराब होता है. इतना ही नहीं कई बार लोग उनके फोटो खीचते हैं उनका रेप भी हो जाता है. शौचालय घर पर होने से ऐसे कई घटनाओं से बचा जा सकेगा. मजेदार बात यह भी है कि वे महिलाएं एक तरफ तो घूंघट निकालती है और दूसरी तरफ शौच खुले जगहों पर करती हैं. ये अजीब सा माहौल है, लेकिन अब बदलाव आ रहा है. पहले 63 प्रतिशत लोगों के पास टायलेट नहीं था. अब इसकी संख्या में कमी आई है. में सभी से ये कहना चाहता हूं कि शौच हमेशा शौचालय में ही करना चाहिये. पुरुष हो या महिला सभी के लिए ये जरुरी है. पुरुष को भी इधर-उधर शौच करने से बचना चाहिए.

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