बौलीवुड में पिछले 42 वर्षों से लगातार काम करते आ रहे गीतकार, गायक व संगीतकार अनु मलिक ने कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया. वह हमेशा अपनी मर्र्जी का काम करते रहे हैं.जब बौलीवुड फिल्मों में एक ही फिल्म में चार से छह संगीतकारों की परंपरा शुरू हुई, तब भी अनु मलिक ने उन्ही फिल्मों में संगीत दिया, जिनमें उन्हें अकेले काम करने का अवसर मिला.इसके बावजूद जब बौलीवुड में ‘‘मी टू’’का मसला उठा, तो उन पर उंगली उठी. पर वह शांत रहे.कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. मगर पूरे दस माह तक उन्हें कोई काम नहीं मिला. उन्हें टीवी के रियलिटी शो से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. मगर अब एक बार फिर वक्त ने करवट ली है. उन्हे टीवी के रियालिटी शो से बुलावा आ गया है, तो वहीं उनके द्वारा लिखा, स्वरबद्ध और संगीत से संवारे गए गीत ‘‘मंडे’’ का वीडियो ‘यूट्यूब’पर धूम मचा रहा है. मजेदार बात यह है कि अनु मलिक ने इस म्यूजिक वीडियो में खुद एक्टिंग किया है. प्रस्तुत है अनु मलिक के संग हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंश..
सवाल- दस महीने आपके पास काम क्यों नही था?
-जो भी वजहें रही हों, मैं उन पर जाना नहीं चाहता.वह सब समय था.समय कभी आपके साथ होता है.कभी आपके साथ नही होता है. आप समय को गलत नहीं कह सकते. समय को प्रणाम करके आगे बढ़ने के बारे में सोचना पडे़गा. मैंने अपने पिता सरदार मलिक साहब से सीखा है कि कोई भी इंसान आपसे प्यार करे या नफरत करे, पर आपके दिल में उसके प्रति नफरत नही पैदा होनी चाहिए. कभी सामने वाले के प्रति जहर मत रखो. यदि मेरे अंदर जहर होता, तो मैं ‘मंडे’ गीत न बना पाता.शायद मैं शराब पीकर लोगों को गालियां दे रहा होता. आप मेरा पिछले 10 माह का रिकौर्ड देख लें. सोशल मीडिया पर लोगों ने मेरे खिलाफ अनगिनत गालियां बकी.पर मैं चुप रहा.अब सामने वाले ने मुझे गालियां क्यों दी, यह तो वह जाने.मैं तो सत्यमेव जयते में यकीन रखता हूं.मेरे लिए तो सत्यमेव जयते यह है कि मैंने ‘मंडे’ गाना बना दिया, जिसकी लोग तारीफ कर रहे हैं.अब मुझे टीवी रियालिटी शो से जुड़ने का भी निमंत्रण मिल गया है. एकता कपूर ने अपनी फिल्म के लिए मुझे बुलाया है.
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सवाल- मी टू ….?
-कृपया इसको यहीं छोड़ दें. मैं इसको लेकर कोई चर्चा नही करना चाहता. मैं कभी किसी को गाली नही दूंगा. मैं सबकी इज्जत करता हूं.
सवाल- अपने सिंगल गीत ‘‘मंडे’’को लेकर क्या कहेंगे?
-मंडे गाना मेरे दिल से निकला हुआ गाना है. इसे हमेशा याद रखा जाएगा.यह हर उस युवक की आवाज है,जिसके पास काम नहीं है. यह गाना मेरी आप बीती भी है.यह उन युवकों की भी आप बीती है,जिनके पास काम होता है,पर एक दिन काम चला जाता है.दस माह की बेकारी के दिनों में सोचते सोचते मेरे दिमाग में एक मुखड़ा आया -‘‘ना कोई काम ना कोई पैसा ना मेरी लाइफ में कैटरीना जैसा कोई चेहरा ना बंगला ना गाडी….बार बार कुंडलियां दिखायी कि दिन कैसा कैसा..ना कोई प्यार या कोई मीटर ….या फोन कब बजेगा आई एम वेटिंग …काम से ना बढ़कर कोई महबूबा …महबूबा आ जा माई हार्ट इज बीटिंग …लाइफ इज संडे बोरिंग होली डे ..गिव मी माई मंडे.’’फिर इसे ंसंगीत से संवारा.ख्ुाद ही गाया और वीडियो मंे एक्टिंग किया.
सवाल- संगीत में जो बदलाव आया है,उसे आप किस तरह से देखते हैं?
-देखिए,संगीत में इतना बड़ा बदलाव नही आया है कि आप उस पर सवाल करने लगे.बदलाव तकनीक का आया है. पर संगीत के सुर तो वही हैं. हिंदुस्तानी जज्बा सुर मांगता है,वह संगीत के सुरों की कद्र करता है. अगर मेरा मंडे गाना लोगों के दिलों को छुएगा तभी वह लोग गुनगुनाएंगे.पर आवाज बदली है. लोग रीमिक्स करने लगे हैं.
सवाल- पर मौलिक गाने बनाने की बजाय लोग रीमिक्स के पीछे क्यों भाग रहें हैं?
-आपने बहुत अच्छा सवाल किया. आपका सवाल सही है.रीमिक्स गीत नहीं बनने चाहिए.मैं बार बार सभी युवा संगीतकारों से कह रहा हूं कि वह कुछ मौलिक धुनें बनाएं.मैंने कहा कि तकनीक के बदलाव के चलते सब कुछ गड़बड़ हो गया है.पहले हम दिमाग से सोचकर संगीत की धुनें बनाया करते थे.अब तो गूगल सर्च पर गए और कई गीतों की धुने मिलाकर एक धुन बना दी. बड़ा आसान काम हो गया है.पर यदि आप संगीत की संगत करेंगे,तो अच्छा मौलिक काम कर सकते हैं.हम लोग तो एक एक गाने पर छह छह माह लगा देते थे.
सवाल- आप रीमिक्स गानों के पक्ष में हैं या..?
-मुझे बुरा नही लगता.मुझे लगता हैं कि आज की पीढ़ी ने यदि मेरा गीत ‘काली काली आखें..’ या ‘छम्मा छम्मा..’नहीं सुना हैं,तो वह रीमिक्स सुन लें.लेकिन रीमिक्स करने वालों को चाहिए कि जिसने मौलिक मुखड़ा बनाया था,उसका नाम सही ढंग से दें.आप कल्याणजी आनंदजी का गाना उठाकर रीमिक्स करते हैं और कोने में छोटे में उनका नाम लिख देते हैं या देते ही नही हैं,यह गलत है.
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सवाल- क्या वजहें हैं कि हिंदी में ही मौलिक गाने नहीं बन रहे हैं?
-चिंता ना करें यह एक दौर है,जो बहुत जल्दी गुजर जाएगा.
सवाल- आपके संगीत के 42 साल के टर्निग प्वाइंट क्या रहे?
-मेरे करियर का पहला टर्निंग प्वाइंट वह था,जब हरमेश मल्होत्रा ने मुझे फिल्म ‘पूरब पश्चिम’दी थी. जब मेहरा साहब के परिवार ने मुझे ‘एक जान’ और ‘सोनी माहिवाल’ फिल्में दी.मेरे करियर में तीसरा बहुत बड़ा टर्निंग प्वाइंट तब आया,जब मनमोहन देसाई ने मुझे फिल्म ‘मर्द’में संगीत देने के लिए चुना. चौथा टर्निंग प्वाइंट वह था,जब महेश भट्ट और मुकेश भट्ट ने मुझे फिल्म‘फिर तेरी कहानी याद आयी’दी. उसके बाद मेजर टर्निंग प्वाइंट रहा-फिल्म ‘‘बाजीगर’’का मिलना.फिर ‘टिप्स’कंपनी के कुमार तोरानी ने मुझे ‘मेजर साहब’दी. उसके बाद 2015 में बहुत बड़ा टर्निंग प्वाइंट तब आया,जब आदित्य चोपड़ा ने मुझे बुलाकर ‘‘दम लगाकर हईसा’’ दी.
अगर आप छोटे परदे की बात करें,तो रियालिटी शो ‘इंडियन आइडल’से जुड़ना मेरा बहुत बड़ा टर्निंग प्वाइंट था.इससे मेरे संगीत को मेरा चेहरा मिल गया.
सवाल- कहा जा रहा है कि टीवी के रियालिटी शो में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं?
-यह तो हर इंसान की अपनी अपनी सोच का मसला है.मेरी राय में हिंदुस्तान में टैलेंट की कमी नहीं है. टीवी के इन रियालिटी शो में देश के कोने कोने से बच्चे आते हैं,जिन्हें आगे बढ़ने के लिए रियालिटी शो के रूप में एक प्लेटफार्म मिल गया है.आप नही जानते हैं कि इन रियालिटी शो में बच्चे कितनी गरीबी से उठकर आते हैं.वह इस प्लेटफार्म पर आकर अपने गला,अपनी आवाज का प्रदर्शन करते हैं.फिर जब वह टीवी के रियालिटी शो से बाहर जाते हैं,तो हम सबसे कहीं ज्यादा दुनिया देख चुके होते हैं.यदि मैंने लंदन पांच बार देखा,तो वह 100 बार देख चुके होते हैं.जो बच्चा छोटे से गांव से आकर इतना सब कुछ पाता है, उसके भविष्य से खिलवाड़ कहां हुआ? मैं बता रहा हूं कि यदि बच्चे में टैलेंट नहीं होता है,तो अनु मलिक उनसे कह देता है कि वापस चले जाओ,पढ़ाई करो.डॉक्टर या इंजीनियर बनो.यहां अपनी जिंदगी बर्बाद मत करो.कुछ बच्चे मुझसे नाराज हो जाते हैं.पर मैं अच्छे कलाकार को प्रोत्साहित भी करता हूं.
सवाल- मगर रियालिटी शो में सभी स्टार बन जाते हैं.जबकि विजेता एक होता हैं.विजेता को भी फिल्मों में पाश्र्वगायन का काम नहीं मिलता?
-यह आपकी सोच है.मेरी राय में रियालिटी शो से निकले बच्चे दुनिया देखते हैं,वह कई तरह के संगीत के शो करते हैं.गाना गाते हैं.अच्छे पैसा कमाते हैं.अच्छी जिंदगी जीते हैं.यह हर माह इतना कमाते हैं कि कोई दूसरा आम आदमी नहीं कमा सकता. यदि आपके पास कला है,तो उसका उपयोग किया जाना चाहिए.इसमें कुछ भी गलत नही है.
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सवाल- आपकी बिटिया अनमोल क्या कर रही हैं?
-वह अंग्रेजी गाने बहुत गाती हैं और काफी नाम कमा रही हैं. उसका एक गाना जस्टिन वीवर के साथ एशिया चार्ट में 4 नंबर पर आया था. हैरानी की बात यह है कि भारत में किसी भी पत्रकार ने इस बारे में एक लाइन नहीं लिखी. मेरी बेटी तो हमेशा कहती है कि आप किसी से मेरे बारे में बात मत कीजिएगा. मेरी कला को वक्त ही बताएगा.बहुत मेहनती है. पर प्रचार से दूर रहती है. छोटी बेटी अदा फैशन की दुनिया में अच्छा नाम कमा रही है.