कुत्ता पालना स्टेटस सिंबल ही नहीं है, बल्कि यह आप के जवां, हंसमुख और ऊर्जावान व्यक्तित्त्व एवं सकारात्मक सोच का जिम्मेदार भी है. कुत्ता पालने वाले 65 वर्ष की उम्र वाले लोग अपनी वास्तविक उम्र से 10 साल कम ही नजर आते हैं. वे हर वक्त ऊर्जा से भरपूर दिखते हैं. कुत्ता पालने वाले आप को हमेशा तनावमुक्त और हंसमुख स्वभाव के मिलेंगे, जबकि उसी उम्र के अन्य लोगों के स्वभाव में नीरसता, तनाव, झुंझलाहट, रोष और गुस्सा दिखेगा.
हाल ही में हुए एक शोध से यह बात सामने आई है कि घर में कुत्ता रखना एक बुजुर्ग के मानसिक स्वास्थ्य के साथसाथ शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बेहद सकारात्मक प्रभाव डालता है.
बर्लिन स्थित यूनिवर्सिटी औफ सैंट ऐंड्रयूज के शोधकर्ता फेंग झिक्यांग का मानना है कि 65 वर्ष की उम्र से अधिक के लोगों में कुत्ते का मालिक होने और बढ़ी हुई शारीरिक सक्रियता के बीच सीधा संबंध होता है. बुजुर्ग कुत्ता मालिक कुत्ता न रखने वाले अपने समकक्षों की अपेक्षा 12% अधिक सक्रिय पाए गए हैं. कुत्तों का स्वामी होने का बोध व्यक्तिगत सक्रियता की प्रेरणा देता है और बुजुर्गों को सामाजिक सहयोग का अभाव नहीं खलता. यह खराब मौसम, बीमारी और निजी सुरक्षा सरीखी कई समस्याओं से उबरने में भी सक्षम बनाता है.
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यह शोध 547 बुजुर्गों पर किया गया. शोध में सामने आया कि कुत्तों के मालिक न केवल शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय थे, बल्कि उन की गतिशीलता का स्तर भी अपने से 10 साल छोटे लोगों के बराबर था. 40-45 साल की उम्र तक हम सभी अपने कैरियर, शादी, परिवार और बच्चों की देखभाल आदि में बिजी रहते हैं.
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