बच्चे के लिए नैपी का चयन सोचसमझ कर करें. नैपी खरीदते समय ध्यान रखें कि वह सही फिटिंग का हो, उस की सोखने की क्षमता बेहतर हो और उस का फैब्रिक बच्चे की संवेदनशील त्वचा को नुकसान न पहुंचाए. मौसम कोई भी हो कौटन और लिनेन का नैपी सब से अच्छा रहता है. इस का फैब्रिक नमी को अवशोषित करता है और त्वचा से रिएक्शन नहीं करता है. आज बाजार में अच्छी क्वालिटी के डिसपोजेबल नैपी भी उपलब्ध हैं. नैपी को हर 3-4 घंटों में बदल देना चाहिए. अधिकतम 6 घंटे में. नैपी जितनी जल्दी बदलेंगी, संक्रमण का खतरा उतना ही कम होगा.
सही नैपी का चयन करें
नैपी बच्चे की त्वचा को गीलेपन से बचाता है. इस से जलन और रैशेज से बचाव होता है. कपड़े का नैपी बच्चे को सूखा और कंफर्टेबल रखता है. यह बच्चे को उतना ही सूखा रखता है जितना डिसपोजेबल नैपी.
इसे खरीदते समय इन बातों का ध्यान रखें
सोखने की क्षमता: नैपी की सोखने की क्षमता अच्छी होनी चाहिए ताकि वह बच्चे के मलमूत्र को अवशोषित कर सके.
मुलायम: नैपी मुलायम होना चाहिए ताकि बच्चे की मुलायम त्वचा को नुकसान न पहुंचे. इस में इतना खिंचाव होना चाहिए कि अच्छी तरह फिट हो जाए.
वेटनैस इंडिकेटर: वेटनैस इंडिकेटर नैपी पर एक रंगीन रेखा होती है, जो पीले से नीली हो जाती है, तो इस का अर्थ होता है कि नैपी गीला हो गया है. उसे बदलने का समय आ गया है.
कौन सा नैपी है बेहतर: बहुत से मातापिता परेशान रहते हैं कि बच्चे के लिए किस प्रकार का नैपी का इस्तेमाल किया जाए. वैसे कौटन का नैपी अच्छा माना जाता है, लेकिन आजकल कई बेहतरीन डिसपोजेबल नैपी भी बाजार में उपलब्ध हैं. अगर महंगे ब्रैंड का नैपी आप के बजट से बाहर हो तो आप कौटन का नैपी इस्तेमाल कर सकती हैं. ब्रैंडेड नैपी को घर के बाहर और रात में इस्तेमाल कर सकती हैं. दिन में जब घर पर हों तो सामान्य कौटन का नैपी ही इस्तेमाल करें.
क्यों हो जाते हैं रैशेज: लगातार नैपी पहने रहने से बच्चे के नितंबों और जांघों पर रैशेज पड़ जाते हैं. वहां भी रैशेज पड़ जाते हैं जहां त्वचा फोल्ड होती है. रैशेज होने का सब से प्रमुख कारण नमी है. दूसरे प्रमुख कारणों में नैपी को कस कर बांधना, ठीक प्रकार से न धोना, जिस से डिटर्जैंट या साबुन नैपी में रह जाता है. जब बच्चे को डायरिया हो जाता है या दस्त लग जाते हैं, तो उसे रैशेज होने का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि मल का संपर्क त्वचा को मूत्र के संपर्क से अधिक नुकसान पहुंचाता है. नहीं पड़ेंगे रैशेज: बच्चे को रैशेज से बचाने का सब से अच्छा तरीका यह है कि नैपी वाले एरिया को साफ और सूखा रखें. गीले नैपी को तुरंत बदलें. नैपी बदलने के बाद हमेशा बच्चे के बौटम को कुनकुने पानी से साफ करें.
रैशेज ठीक करने के घरेलू उपाय
सामान्यता नैपी के रैशेज को घरेलू उपायों से ठीक किया जा सकता है. आप भी इन घरेलू उपायों को आजमा सकती हैं:
रैशेज पर ऐलोवेरा जैल लगाएं.
बच्चे को कुछ समय बिना नैपी के भी छोड़ें ताकि रैशेज तेजी से हील होने में मदद मिल सके.
रैशेज पर पैट्रोलियम जैली लगाएं.
रैशेज पर टैलकम पाउडर का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, पर इस के अधिक मात्रा में इस्तेमाल से बचें वरना यह बच्चे के फेफड़ों में पहुंच कर उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है.
इन बातों का भी ध्यान रखें
बच्चे को कुनकुने और माइल्ड साबुन से नहलाएं.
कौटन के मुलायम टौवेल से हलके हाथों से पोंछें. त्वचा के पूरी तरह सूखने के बाद ही कपड़े और नैपी पहनाएं.
गीले या गंदे नैपी को तुरंत बदल दें.
रात में भी 1 बार नैपी जरूर बदलें.
26 में से 8 घंटे बच्चे को बिना नैपी के रखें ताकि त्वचा को सांस लेने का अवसर मिल सके.
ऐसे नैपी का इस्तेमाल करें, जिस में एअरटाइट प्लास्टिक का कवर हो.
कब करें डाक्टर से संपर्क
अगर बच्चे के नितंबों, जांघों और गुप्तांगों पर लाल रैशेज अधिक मात्रा में पड़ गए हैं, तो घरेलू उपायों से उन्हें ठीक करने का प्रयास करें. अगर 7 दिन में रैशेज ठीक न हों और उन में जलन हो, खुजली हो, खून निकले या बच्चे को बुखार आए तो तुरंत डाक्टर को दिखाएं.
नैपी कैसे बदलें
नैपी बदलते समय इस बात का ध्यान रखें कि गंदगी बच्चे के शरीर पर न फैले. गंदा नैपी निकालने के बाद दूसरा नैपी पहनाने से पहले नैपी वाले स्थान को अच्छी तरह सूखने दें. इस के अलावा इन बातों का भी ध्यान रखें:
बच्चे को एक हाथ से टखने से पकड़ कर थोड़ा ऊपर उठा कर गंदे नैपी को बच्चे की कमर के नीचे ही मोड़ दें. ध्यान रहे, साफ भाग ऊपर होना चाहिए.
अगर बच्चे का नैपी बहुत गंदा है तो नीचे एक मुलायम टौवेल रखें या डिसपोजेबल पैड लगाएं.
बच्चे के आगे के भाग को बेबी वाइप से साफ करें. हमेशा आगे से पीछे की ओर साफ करें.
बैबी के बौटम को मुलायम टौवेल या कौटन से धीरेधीरे साफ करें, रगड़ें नहीं.
नया नैपी खोलें और आधी कमर को उस पर रखें. फिर बच्चे को ठीक से लिटाएं और आगे से नैपी को ठीक से बांधें.
नैपी बदलने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह धोएं ताकि बैक्टीरिया को दूसरे भागों में फैलने से रोका जा सके.
नैपी लगाते समय बच्चे के पैर उतने ही चौड़े करें जितने कंफर्टेबल हों. पैर अधिक चौड़े करने से बच्चे को परेशानी हो सकती है.
नैपी को इतना कस कर न बांधें कि वह त्वचा से रगड़ खाए.
अगर नवजात है तो गर्भनाल को न ढकें जब तक कि वह सूख कर हट न जाए.
नैपी धोने के टिप्स
डिसपोजेबल नैपी को धोने की जरूरत नहीं होती, लेकिन अगर आप कपड़े का नैपी इस्तेमाल कर रही हैं, तो उसे सावधानीपूर्वक धोएं ताकि बच्चे को साफ और संक्रमण रहित रखा जा सके.
नैपी को कुनकुने पानी में माइल्ड डिटर्जैंट से धोएं.
खुशबू वाले साबुन या डिटर्जैंट का इस्तेमाल न करें वरना रैशेज होने का खतरा हो सकता है.
अधिक गंदे नैपी को धोने से पहले थोड़ी देर ठंडे पानी में डुबोएं.
फैब्रिक सौफ्टनर का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इस में खुशबू हो सकती है, जिस से बच्चे की त्वचा में जलन हो सकती है.
नैपी को धोने के बाद सिरके के पानी में डुबो लें. इस से गंध भी दूर हो जाएगी और साबुन भी पूरी तरह निकल जाएंगे. इस के बाद नैपी को एक बार फिर ठंडे और पानी से धो लें.
– डा. नुपुर गुप्ता, निदेशक वैल वूमन क्लीनिक