हमेशा से बौलीवुड पर पुरुष प्रधान होने का आरोप लगता रहा है. इसके नायक भी हमेशा लार्जर दैन लाइफ होते रहे हैं. कभी ही मैन, तो कभी एंग्री यंग मैन और कभी रोमांस के बादशाह, लेकिन नायिकाओं के लिए ऐसे टाइटिल कभी कभार ही मिलते हैं. ऐसी ही एक फिल्म थी मदर इंडिया जिसमें नरगिस दत्त की शानदार एक्टिंग ने सभी पुरानी मान्यताओं को ध्वस्त करके एक नया रास्ता खोला था. हालाकि पैरेलल सिनेमा या आर्ट फिल्मों में महिला प्रधान फिल्में आती रहीं हैं, लेकिन मुख्य धारा की ऐसी फिल्मों कि लिस्ट बहुत लंबी नहीं है. फिर भी कुछ फिल्में हैं जिनमें नायिका को केंद्र में लेकर मेन स्ट्रीम फिल्में बनायी गयीं. उसमें भी पिछले दो चार सालों में ऐसी फिल्मों की गिनती बढ़ी हैं.
आइये आपको बताते हैं ऐसी ही दस फिल्मों के बारे में हालाकि आप चाहें तो इसमें अपनी पसंद की कुछ और फिल्मों के नाम जोड़ सकते हैं.
कहानी
विद्या बालन की एक्टिंग के सभी कायल हैं और फिल्म कहानी में तो उनका रोल देख कर हर कोई हैरान रह गया. अपने दम पर फिल्म को चलाना और उसे कामयाब बनाना इसकी तो विद्या को आदत हो चुकी है.
सात खून माफ
ये फिल्म वाकई प्रियंका चोपड़ा के उन सारे गुनाहों को माफ कर देती है जो उन्होंने कुछ बेसिर पैर की भूमिकाओं को कर के किए हैं. फिल्म में हीरो बददलते रहे पर प्रियंका अन्नु कपूर, इरफान खान और नसीरुद्दीन शाह जैसे कलाकारों पर भारी पड़ती रहीं.
फैशन
इसके साथ ही प्रियंका की एक और फिल्म को भी देखना अच्छा अनुभव होगा जिसमें उनके साथ उतनी ही प्रभावशाली कंगना रानौत भी नजर आयी थीं. फिल्म थी फैशन जो आधुनिक दौर में लड़कियों के सपनों और उनको पूरा करने के संघर्ष को बेहद सच्चाई से दिखाती है.
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