नैशनल क्राइम रिकौर्ड्स ब्यूरो की हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1 दिन में लगभग 92 महिलाएं बलात्कार का शिकार बनती हैं. साल 2012 में दर्ज किए गए रेप केसेज की संख्या 24,923 थी, जो कि साल 2013 में बढ़ कर 33,707 हो गई. रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया कि ज्यादातर बलात्कार पीडि़तों की उम्र 14 से 18 वर्ष (8,877 मामले) और 18 से 30 वर्ष (15,556 मामले) के बीच थी.

यू. एन. क्राइम ट्रैंड सर्वे की एक रिपोर्ट के अनुसार बलात्कार के मामलों में भारत का स्थान विश्व में तीसरा है. एनसीआरबी की रिपोर्ट में इस से भी ज्यादा चौंकाने वाला तथ्य दिया गया है कि भारत में दर्ज किए गए बलात्कार के मामलों में ज्यादातर ऐसे हैं जिन में बलात्कार करने वाला या तो पीडि़ता का कोई रिश्तेदार, पड़ोसी था या फिर उस का कोई बेहद करीबी व्यक्ति था.

मेरे जैसी शायद ही कोई और लड़की होगी. न बैंडबाजा, न मेहंदी की रस्म, न संगीत की रात. न वरमाला पड़ी, न फेरे हुए. फिर भी मैं कन्या से औरत बन गई. क्या कोई मेरे दुख को महसूस कर सकता है? नहीं, क्योंकि जा के पांव न फटी बिवाई वो क्या जाने पीर परायी. मौखिक सहानुभूति प्रकट करने वाले तो बहुत आए, लेकिन हार्दिक संवेदना महसूस करने वाला कोई नहीं. कुदरत का यह कैसा न्याय है? करे कोई भरे कोई. नारी की क्या गलती है? उसे क्यों इतना कमजोर बनाया? उस पर ज्यादतियां क्यों होती हैं? जबरदस्ती करने वाला शान से छुट्टा घूमता है और जिस के साथ

जबरदस्ती हुई होती है वह सिर नीचा किए, अपराधबोध से ग्रस्त घर में छिपती है.

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