मौसम बदलने लगा है. ऐसे में जुकाम, नाक बंद होना, सिर में दर्द होना, नाक से पानी गिरना आम बात हैं. अगर आप सोच रहें हैं कि यह तो बस मौसम में बदलाव के कारण है तो सावधान. ये साइनोसाइटिस भी हो सकता है. सर्दी-जुकाम कभी भी ,किसी को भी ,किसी भी मौसम में हो सकता है. आमतौर पर यह कोई गंभीर समस्या नहीं मानी जाती है. कई बार तो सर्दी-जुकाम को अच्छी सेहत का संकेत भी माना जाता है. लेकिन अगर आपको बार-बार सर्दी का शिकार होना पड़ रहा है तो सतर्क हो जाइए. यह बहुत ही कॉमन प्रॉब्लम है. सही इलाज से इससे पूरी तरह राहत मिल सकती है.
कुछ लोगों को हमेशा सर्दी-जुकाम की शिकायत रहती है लेकिन इनमें से ज्यादातर मामले साइनोसाइटिस यानी साइनस के होते हैं. सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि यह क्या है?
दरअसल, हमारी खोपड़ी में बहुत-सारी कैविटीज़ (खोखले छेद) होती हैं. ये हमारे सिर को हल्का बनाए रखने और सांस लेने में मदद करती हैं. इन छेदों को साइनस कहते हैं. अगर इन छेदों में बलगम भर जाती है तो सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. इस समस्या को ही साइनोसाइटिस कहते हैं. आम बोलचाल में इसे साइनस भी कहा जाता है.
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क्यों होता है
सांस लेने में रुकावट, नाक की हड्डी का बढ़ना और तिरछा होना, एलर्जी होना इसकी आम समस्या है यानी किसी भी कारण से साइनस के संकरे प्रवेश मार्ग में अगर रुकावट आ जाती है तो साइनस होता है. इसके अलावा कई बार खोखले छेदों में बलगम भर जाता है, जिससे साइनस बंद हो जाते हैं. साथ ही, इन्फेक्शन के कारण साइनस की झिल्ली में सूजन आ जाती है. इस वजह से सिर, माथे, गालों और ऊपर के जबड़े में दर्द होने लगता है. यह बीमारी खराब लाइफस्टाइल की वजह से नहीं होती लेकिन जो लोग फील्ड जॉब में होते हैं यानी जो ज्यादा समय पल्यूशन में रहते हैं या फिर लकड़ी इंडस्ट्री आदि प्रफेशन से जुड़े होते हैं, उनको साइनस होने का खतरा ज्यादा होता है.
लक्षण
सिर में दर्द और भारीपन
आवाज में बदलाव
बुखार और बेचैनी
आंखों के ठीक ऊपर दर्द
दांतों में दर्द
सूंघने और स्वाद की शक्ति कमजोर होना
बाल सफेद होना
नाक से पीला लिक्विड गिरने की शिकायत
कई तरह का साइनस
एक्यूट साइनस: इसमें सर्दी लगने के लक्षण अचानक उभर आते हैं, जैसे नाक जाम होना या उसका बहना और चेहरे में दर्द होना. यह अवस्था 8-10 दिन बाद भी खत्म नहीं होती बल्कि आमतौर पर चार हफ्ते तक बनी रहती है. एक्यूट साइनस अक्सर बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण होता है और इसमें सांस की नली के ऊपरी हिस्से में इन्फेक्शन हो जाता है. इसके इलाज के लिए एंटी-बायोटिक दवाएं दी जाती हैं. ये साइनस से इन्फेक्शन साफ कर देती हैं. नाक में सूजन कम करने के लिए नेजल ड्रौप्स दी जाती हैं, लेकिन इन्हें कुछ दिनों के लिए ही लेना चाहिए.
सब-एक्यूट साइनस: साइनस में चार से आठ हफ्ते तक सूजन और जलन रहती है. इसका इलाज भी आमतौर पर एक्यूट साइनस की तरह की होता है.
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क्रौनिक साइनस: इसमें लंबे समय तक साइनस में जलन और सूजन रहती है. साइनस की सूजन दो तरह की होती है: एक, सूजन अचानक होती है और कुछ दिनों में खत्म हो जाती है.
रीक्यूरेंट साइनस: अगर दमा यानी अस्थमा है या एलर्जी से संबंधित कोई बीमारी है तो जल्दी-जल्दी क्रॉनिक साइनस हो सकता है. इसका इलाज करीब-करीब क्रॉनिक साइनस की तरह ही होता है.
नोट: मरीज की स्थिति के अनुसार डॉक्टर दवाएं देते हैं. शुरुआती दौर में दवाओं से साइनस का इलाज मुमकिन है, लेकिन अगर वक्त रहते इलाज नहीं किया जाए तो सर्जरी ही आखिरी इलाज बचता है. साइनस के इलाज या सर्जरी के लिए आपको ईएनटी स्पेशलिस्ट के पास जाना होता है. साइनस के लिए एंडोस्कोपिक साइनस सर्जरी की जाती है.
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