सोने के गहनों के प्रति महिलाओं का लगाव किसी से छिपा नहीं है. कभी किसी अपने के प्यार व लगाव के प्रतीक के रूप में, कभी निवेश के जरिए की तरह पौवर का प्रतीक तो कभी दुखसुख का साथी बन कर ये गहने महिलाओं के जीवन में खास स्थान रखते हैं. मगर क्या आप जानते हैं देश के अनेक प्लांट्स में हजारों कारीगर आधुनिक मशीनों की सहायता से गोल्ड को गहनों के रूप में गढ़ते हैं? एक गहना कई पायदानों से गुजर कर आप के हाथों तक पहुंचता है. इस संदर्भ में तनिष्क के पंतनगर ज्वैलरी प्लांट के यूनिट हैड एंजेलो लौरेंस ने विस्तार से इस सारी प्रक्रिया के बारे में बताया:
- सबसे पहले ज्वैलरी डिजाइनर किसी भी गहने की एक रूपरेखा बना कर उसे कागज पर उकेरता है, जिसे कंप्यूटर द्वारा कैड डिजाइन (कंप्यूटर ऐडेड डिजाइन) में तबदील किया जाता है.
- इस के बाद उस कैड डिजाइन को थ्रीडी प्रिंटर के द्वारा प्रिंट किया जाता है, जिसे रेसिन प्रोटोटाइप कहते हैं.
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- रेसिन को लिक्विड मोल्ड के सांचे में ढाला जाता है और उस से पहला चांदी का प्रोटोटाइप तैयार किया जाता है, जिसे मास्टर बुलाया
जाता है. उस मास्टर की मदद से सिलिकौन मोल्ड काट कर उस में वैक्स इंजैक्ट किया जाता है.
- रिंग्स में यदि हीरे लगाने हैं तो इस स्टैप में कारीगर हीरों को माइक्रोस्कोप की मदद से वैक्स पीस में सही जगह सैट करते हैं.
- इस के बाद कई सारे वैक्स के गहनों को एक वैक्स ट्री के आधार में जोड़ा जाता है. फिर यह वैक्स ट्री गोल्ड कास्टिंग के लिए अगले विभाग में भेजा जाता है, जहां लौस्ट वैक्स कास्टिंग विधि द्वारा गोल्ड ट्री तैयार किया जाता है.