प्राचीन काल से ही शहद को इस के स्वाद और सेहत वाले गुणों के लिए जाना जाता है. ऐसा भी कहा जाता है कि आज से लगभग 4000 साल पहले सुमेरियन क्ले टैबलेट्स में इस का दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता था. माना जाता है कि सुमेरियन चिकित्सा के 30% इलाजों में शहद शामिल होता था. प्राचीन इजिप्ट में शहद का उपयोग त्वचा व आंख संबंधी रोगों के निदान के लिए किया जाता था. भारत में सिद्धा और आयुर्वेद जैसे पुराने व परंपरागत चिकित्सकीय तरीकों में शहद की अहम भूमिका रही है.

शहद खून के लिए वरदान

रैड ब्लड सैल्स पर इस का सब से ज्यादा असर देखने को मिलता है. यह हीमोग्लोबिन लैवल को बढ़ाने में भी सहायक है. ऐसा भी माना जाता है कि कीमोथैरेपी करवाने वाले मरीजों में यह व्हाइट ब्लड सैल्स को कम होने से रोकता है.

शहद ऐंटीबैक्टीरियल व ऐंटीसेप्टिक है

यह रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और संक्रमण से रक्षा करता है. इस के प्रतिदिन सेवन से सांस संबंधी रोगों जैसे कफ और अस्थमा के नियंत्रण में सहायता मिलती है.

शहद वजन कम करता है

कुनकुने पानी व नीबू के रस के साथ शहद लेने से वजन कम करने में सहायता मिलती है.

शहद बनाए ऊर्जावान

इस में शुगर के तत्त्वों ग्लूकोज और फ्रूक्टोज होने के कारण यह शरीर को ऊर्जावान बनाए रखता है.

शहद सुधारे पाचनक्रिया

यह पेट फूलना, कब्ज और गैस की समस्या को दूर करने में सहायक है. इस में प्रोबायोटिक या अच्छे बैक्टीरिया जैसे बिफिडो और लैक्टोबेसिल पाए जाते हैं, जो पाचनक्रिया को दुरुस्त कर रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं व ऐलर्जी से बचाते हैं.

शहद और दूध की ताकत

इन दोनों का एकसाथ इस्तेमाल त्वचा को साफ कर उसे दमकाता है. इस के ऐंटीऔक्सिडैंट गुणों के कारण इसे ऐंटीएजिंग औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. अनिद्रा रोग में भी यह प्रभावकारी है.

शहद है पोषण से भरपूर

इस में स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी ऐंजाइम, विटामिन, मिनरल और पानी होने के साथसाथ यह इकलौता ऐसा खाद्यपदार्थ है जिस में पोषक तत्त्व पाइनोकेम्ब्रिन पाया जाता है, जो दिमाग की कार्यशैली को सुचारु रखता है.

शहद है गुणों की खान

अपने ऐंटीइन्फ्लेमैटरी गुण के चलते यह तमाम तरह की ऐलर्जी से सुरक्षित रखता है. इस का इस्तेमाल याद्दाश्त बढ़ाने और रूसी से छुटकारा पाने के लिए भी किया जाता है.

मधुमक्खियों से जुड़े अनूठे तथ्य

– मधुमक्खियां एक दिन में लगभग 2,25,000 फूलों पर विचरण करती हैं. 1 पाउंड शहद बनाने के लिए मधुमक्खियों को लगभग 20 लाख फूलों पर विचरण करना पड़ता है और इस दौरान वे 55,000 मील की यात्रा करती हैं.

– मधुमक्खियां कभी नहीं सोतीं और आपस में डांस व संकेतों के जरीए बातचीत करती हैं.

– यह इकलौता कीट है जो इंसानों के खाने लायक उत्पाद तैयार करता है.

– मधुमक्खियां 170 तरह की गंध पहचान सकती हैं जबकि फ्रूट फ्लाइज मात्र 62 और मच्छर 79 गंध ही पहचान सकते हैं. इन की असाधारण घ्राणशक्ति में साथी मधुमक्खियों को पहचानने व छत्ते में बातचीत करने की क्षमता के साथसाथ खाना पहचान कर ढूंढ़ने की क्षमता भी शामिल है.

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