बड़े शहरों में अंडर ग्राउंड वाटर लेवल दिनों दिन गहरा होता जा रहा है. धरती पर पीने लायक पानी बहुत कम बचा है. ऐसे में किसी भी तरह से पानी वेस्ट करना सही नहीं है. ऐसे में वाटर प्यूरीफिकेशन के नाम पर पानी वेस्ट करना किसी अपराध से कम नहीं है.

ऐसे होती है पानी की बर्बादी...

दरअसल, वाटर प्यूरीफिकेशन के दौरान जितना पानी साफ होकर इकठ्ठा होता है उससे तीन गुना अधिक पानी बेकार यानी Waste हो जाता है. मतलब 10 लीटर पानी साफ करने के लिए करीब 30 लीटर पानी बेकार बहाना पड़ता है. ये बहाया जाने वाला पानी न तो पीने के लायक होता है और ना ही इस नहाने में काम लिया जा सकता है. क्योंकि इसमें अत्यधिक मात्रा में लवण घुले होते है जिसे TDS ( Total dissolved Salts ) कहते हैं.

साल 2020 तक खत्म हो जाएगा इन शहरों का पानी...

पिछले साल ही नीति आयोग (National Institution for Transforming India) ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके मुताबिक साल 2020 तक दिल्ली और बैंगलुरू जैसी मेट्रो सिटीज का जमीन का पानी खत्म हो जाएगा,

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद ये बहस शुरू हो गई है कि क्या ये क्लाइमेट चेंज की वजह से हो रहा है या फिर इंसान की गलत आदतों की वजह से. दरअसल कुछ जगहों पर तो ये एक्स्ट्रीम वेदर की वजह से हो रहा है लेकिन बाकी जगह में इंसानो की वजह से. ऐसे में सवाल ये उठता है कि हम इस सिचुएशन को बेहतर करने के लए क्या कर सकते हैं.

सरकार तो पानी को बचाने के लिए नई-नई पौलिसीज और प्लान बना ही रही है, लेकिन एक जिम्मेदार नागरिक की तरह हमें भी इस समस्या से खुद को उबारने के लिए कदम उठाना चाहिए.

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